📍 ब्यूरो रिपोर्ट | बुंदेलखंड टुडे – उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को अब डरने की जरूरत नहीं। टीचर की डांट, थप्पड़, चिकोटी या जाति के नाम पर भेदभाव—अब ये सब चीजें अतीत की बात होने जा रही हैं। राज्य सरकार ने UP School Student Teacher New Rule के तहत बड़ा और कड़ा फैसला लिया है, जो सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होगा।
शिक्षा का अधिकार, डर के बिना
राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग ने साफ निर्देश दिया है:
“बच्चों को डराकर नहीं, समझाकर सिखाएं।”
शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा की ओर से सभी ज़िलों के BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) को भेजे गए निर्देशों में कहा गया है कि अब किसी भी बच्चे को शारीरिक या मानसिक सजा देना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
क्या-क्या अब मना है?
👉 बच्चों को छड़ी या किसी वस्तु से मारना
👉 डांटना, चिकोटी काटना या थप्पड़ मारना
👉 ग्राउंड में दौड़ाना या घुटनों के बल बैठाना
👉 क्लासरूम में बंद करना या अपमानित करना
👉 जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव
👉 किसी भी प्रकार का मानसिक उत्पीड़न या शोषण
🔴 यह सभी क्रियाएं अब गैरकानूनी मानी जाएंगी और संबंधित शिक्षक या स्टाफ पर कार्रवाई की जाएगी।
शिकायत के लिए टोल-फ्री नंबर 📞
बच्चों और अभिभावकों की शिकायतें अब दबाई नहीं जाएंगी। शिक्षा विभाग ने इसके लिए टोल-फ्री नंबर 1800-889-3277 जारी किया है। कोई भी छात्र, शिक्षक या पालक इस नंबर पर संपर्क कर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।
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स्कूलों में लगेगी “शिकायत पेटिका”
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, सभी स्कूलों में अब शिकायत पेटिका (Complaint Box) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें छात्रों द्वारा गुमनाम शिकायतें भी दर्ज की जा सकती हैं। ज़रूरत पड़ने पर किसी स्थानीय NGO की मदद से बच्चों को मार्गदर्शन दिया जाएगा।
संवेदनशीलता के साथ शिक्षा
बच्चों की मासूमियत और संवेदनशीलता को समझना अब शिक्षकों की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी। किसी भी सूरत में छात्र की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती। यह नियम सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं, बल्कि जेजे होम्स, छात्रावासों और बाल संरक्षण गृहों पर भी लागू होगा।
🎓 शिक्षा केवल किताबों से नहीं, बल्कि एक सुरक्षित वातावरण से फलती-फूलती है।
👉 इसलिए यह नया कानून सिर्फ कड़ा नहीं, बल्कि संवेदनशील भी है—जहां डर नहीं, बल्कि सम्मान से बच्चा सीखेगा।