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MLA Pooja Pal: सीएम योगी की तारीफ करना पड़ा भारी, अखिलेश ने पार्टी से किया निष्कासित

On: September 1, 2025
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“MLA Pooja Pal” को सपा से निकाले जाने के बाद बयान: ‘मैंने माफिया का विरोध किया, इसीलिए पार्टी ने मुझे बाहर कर दिया’

लखनऊ/प्रयागराज | 14 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्माई हुई है, इस बार वजह बनी हैं समाजवादी पार्टी की चर्चित विधायक MLA Pooja Pal, जिन्हें गुरुवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वजह? विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था की तारीफ़ करना।

इस अप्रत्याशित फैसले ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है, जहां सवाल अब सिर्फ पार्टी लाइन का नहीं, बल्कि नैतिकता, निजी पीड़ा और राजनीतिक विवेक का बन गया है।


🎙️ सदन में क्या बोलीं MLA Pooja Pal?

चायल विधानसभा सीट से MLA Pooja Pal ने सदन में बोलते हुए कहा,

“मेरे पति के हत्यारों को सजा दिलाकर सीएम योगी ने मुझे न्याय दिया है। मैं पहली बार सदन में अपने बारे में बोल रही थी, मैंने सिर्फ उन्हें धन्यवाद कहा।”

उनका यह बयान सीधे अतीक अहमद और अशरफ जैसे कुख्यात अपराधियों पर केंद्रित था — जिनपर उनके पति राजू पाल की हत्या का आरोप था। लेकिन पार्टी लाइन से अलग जाकर सीएम योगी की तारीफ करना, सपा आलाकमान को नागवार गुजरा।

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❌ अखिलेश यादव का पलटवार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा:

“उनको पहले अपनी टिकट पक्की कर लेनी चाहिए थी। अब उम्मीद है कि बीजेपी उनकी भी टिकट पक्की कर दे।”

अखिलेश का यह बयान न केवल तंज भरा था, बल्कि उन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि पूजा पाल अब बीजेपी का रुख कर सकती हैं — भले ही उन्होंने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की हो।


🧱 इतिहास की परतें: राजू पाल, अतीक अहमद और एक लंबा संघर्ष

Pooja Pal का नाम तभी से चर्चा में आया जब उनके पति और तत्कालीन विधायक राजू पाल की 2005 में हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और न्याय के लिए लड़ाई शुरू की।

अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ, दोनों इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी रहे हैं। और यही वजह है कि जब उमेश पाल हत्याकांड हुआ, तब भी पूजा पाल ने सार्वजनिक रूप से माफियावाद के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी।


💬 ‘पीडीए’ को लेकर उठा सवाल

MLA Pooja Pal ने सपा के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण पर भी सवाल उठाते हुए कहा:

“जब उमेश पाल मारे गए थे, तब वो भी पीडीए से थे। मेरे पति भी पीडीए से थे। तो क्या आप अपराधियों के साथ हैं या पीड़ितों के साथ?”

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि पूजा पाल पार्टी के मौजूदा नेतृत्व से बेहद असंतुष्ट हैं और अब वे किसी नई राजनीतिक दिशा की ओर बढ़ सकती हैं।


📝 पत्रकार की कलम से: राजनीति बनाम व्यक्तिगत न्याय

पूजा पाल का मामला एक कठिन द्वंद्व का उदाहरण है — जब किसी नेता की व्यक्तिगत पीड़ा और सार्वजनिक जिम्मेदारी टकरा जाए। क्या वे गलत थीं? या यह राजनीति का कठोर अनुशासन था जो भावनाओं को कुचल देता है? जवाब शायद वक्त ही देगा।

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