नई दिल्ली, 19 अगस्त 2025। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में इन दिनों तेजी से नए समीकरण बन रहे हैं। एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शांति समाधान को लेकर अहम बातचीत की, तो दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधी चर्चा की। इन घटनाओं के तुरंत बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का रूस रवाना होना इस बात का संकेत है कि India Russia Relations मौजूदा समय में बेहद अहम मोड़ पर हैं।
India Russia Relations और अंतर-सरकारी आयोग की बैठक
डॉ. एस. जयशंकर 20 अगस्त को मॉस्को में India-Russia Inter-Governmental Commission (IRIGC-TEC) की 26वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस मंच पर व्यापार, आर्थिक, विज्ञान-तकनीक और सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा होगी। यह बैठक India Russia Relations को नई दिशा देने का बड़ा अवसर है। इसके साथ ही जयशंकर India-Russia Business Forum को भी संबोधित करेंगे, जहां द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदारी पर फोकस रहेगा।
सर्गेई लावरोव से मुलाकात और India Russia Relations
यात्रा के दौरान जयशंकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। इस बातचीत में रक्षा सहयोग, ऊर्जा आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों का साझा दृष्टिकोण सामने आएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह मुलाकात India Russia Relations को और गहरा करने का मौका है, खासकर उस समय जब वैश्विक शक्ति संतुलन लगातार बदल रहा है।
अमेरिका-रूस तनाव के बीच भारत का संतुलन
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की थी। इसके बावजूद भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है। इस पृष्ठभूमि में जयशंकर का मॉस्को दौरा यह संदेश देता है कि India Russia Relations भारत की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं और इन पर तीसरे देश के दबाव का असर नहीं होगा।
क्यों अहम है जयशंकर का रूस दौरा?
- रणनीतिक साझेदारी: दशकों से चली आ रही विशेष साझेदारी को और गहराई देना India Russia Relations का मूल उद्देश्य है।
- ऊर्जा सुरक्षा: रूस भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख स्रोत है, और यह सहयोग दोनों देशों के लिए अहम है।
- व्यापारिक सहयोग: मॉस्को में आयोजित बिजनेस फोरम से India Russia Relations को आर्थिक मोर्चे पर नई गति मिलेगी।
- भूराजनीतिक संदेश: जेलेंस्की-ट्रंप मुलाकात और पुतिन-मोदी वार्ता के बाद भारत का यह कदम उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को मजबूत करता है।
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निष्कर्ष
डॉ. एस. जयशंकर की यह यात्रा केवल नियमित कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका को नए स्तर पर स्थापित करने का संकेत है। अमेरिका और रूस के बीच तनावपूर्ण माहौल में भारत अपने रिश्तों को संतुलित रखते हुए आगे बढ़ रहा है। मौजूदा दौर में India Russia Relations यह साबित कर रहे हैं कि भारत अपने दीर्घकालिक हितों और स्वतंत्र विदेश नीति को सर्वोपरि मानता है।