नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025: भारतीय वायुसेना (IAF) का गौरव कहलाने वाला मिग-21 अब इतिहास बनने जा रहा है। 62 सालों तक देश की सुरक्षा का अहम हिस्सा रहे इस सुपरसोनिक फाइटर जेट ने अपनी आखिरी उड़ान भर ली है। खास बात यह रही कि अंतिम उड़ान खुद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने भरी। बीकानेर के नाल एयरबेस से 18 और 19 अगस्त को यह उड़ान हुई, जिसने पूरे वायुसेना परिवार को भावुक कर दिया। अब 26 सितंबर को चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह के जरिए मिग-21 को औपचारिक विदाई दी जाएगी।
मिग-21: छह दशक की अद्भुत यात्रा
मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। सोवियत संघ से मिले इस लड़ाकू विमान ने वर्षों तक वायुसेना की रीढ़ की हड्डी की तरह काम किया। यह दुनिया का सबसे ज्यादा निर्मित सुपरसोनिक फाइटर है, जिसके 11,000 से अधिक यूनिट 60 से ज्यादा देशों की सेनाओं में सेवा दे चुके हैं। भारत में भी इसकी अलग पहचान रही है।
एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह की यादें
IAF चीफ ए.पी. सिंह ने बताया कि उनका मिग-21 से रिश्ता 1985 में शुरू हुआ, जब उन्होंने तेजपुर में पहली बार टाइप-77 संस्करण उड़ाया था। उन्होंने कहा—
“यह विमान बेहद फुर्तीला, भरोसेमंद और सरल डिजाइन वाला था। मिग-21 ने न सिर्फ मेरी, बल्कि कई पीढ़ियों के पायलटों की उड़ान को नया आयाम दिया।”
MiG-21 Last Flight: क्यों हो रहा है रिटायर?
मिग-21 को मूल रूप से इंटरसेप्टर जेट के रूप में डिजाइन किया गया था और इसने भारत की हवाई सुरक्षा में दशकों तक अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब तकनीकी रूप से नए युग के विमानों की जरूरत है।
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स वायुसेना की नई ताकत बन रहे हैं। खासकर तेजस को मिग-21 का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
युद्धों में शौर्यगाथा
मिग-21 ने 1965 और 1971 की जंगों में निर्णायक भूमिका निभाई थी। 1971 में ढाका स्थित गवर्नर हाउस पर बमबारी के बाद पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण किया, जिसमें मिग-21 ने बड़ा योगदान दिया।
1999 के कारगिल युद्ध में इसने पाकिस्तान के अटलांटिक विमान को मार गिराया। हाल ही में 2019 में, बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भी मिग-21 ने पाकिस्तानी F-16 को ढेर कर अपनी ताकत का परिचय दिया।
चंडीगढ़ में आखिरी सलामी
26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में आयोजित समारोह में मिग-21 को आधिकारिक रूप से रिटायर किया जाएगा। यह न सिर्फ एक विमान की विदाई होगी, बल्कि भारतीय वायुसेना के एक गौरवशाली अध्याय का समापन भी होगा। मिग-21 की जगह अब तेजस और अन्य आधुनिक विमानों की नई पीढ़ी लेगी।