काठमांडू, 09 सितम्बर 2025 – नेपाल की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। सोशल मीडिया बैन और लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उमड़ी Gen-Z की भीड़ ने आखिरकार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को झुकने पर मजबूर कर दिया। दिनभर राजधानी काठमांडू से लेकर प्रांतों तक नारों की गूंज सुनाई दी, और इसी दबाव के बीच ओली ने अचानक अपना इस्तीफा पेश कर दिया।
Nepal PM Resign: प्रदर्शन से उठी लहर, सत्ता तक पहुंची आंच
नेपाल में बीते कुछ दिनों से माहौल उबाल पर था। पहले गृह मंत्री, फिर कृषि मंत्री और उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने पद छोड़कर यह संकेत दे दिया था कि सरकार भीतर से बिखर चुकी है। सोशल मीडिया पर रोक हटाने की घोषणा भले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कर दी थी, मगर गुस्साई भीड़ इससे शांत नहीं हुई। मंगलवार की सुबह हजारों लोग फिर से सड़कों पर उतर आए, “ओली इस्तीफा दो” के नारे लगाते हुए।
ओली की आखिरी अपील और अचानक लिया फैसला
आज शाम छह बजे ओली ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की थी। अपने पत्र में उन्होंने लिखा—“मैं सभी दलों से अपील करता हूं कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें और समाधान खोजने में सहयोग दें।”
लेकिन हालात इतने बिगड़ चुके थे कि बैठक से पहले ही ओली ने प्रधानमंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफे के बाद ओली विदेश जाने की तैयारी में भी हैं।
नेपाल की सियासत में नए दौर की शुरुआत
ओली का इस्तीफा सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि नेपाल की नई पीढ़ी की ताकत का प्रमाण भी है। सोशल मीडिया बैन ने जिस आग को हवा दी, वही भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विद्रोह नेपाल की सियासत में बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है।