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UP News: योगी सरकार का नया नियम, आवारा कुत्तों के लिए बनेगा Feeding Zone, सुरक्षा और प्रबंधन पर खास जोर

On: September 9, 2025
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UP News: योगी सरकार का नया नियम, आवारा कुत्तों के लिए बनेगा Feeding Zone
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लखनऊ, 09 सितम्बर 2025 – उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते मानव-पशु संघर्ष पर अंकुश लगाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए Feeding Zone तय किए जाएंगे। इस नई गाइडलाइन का मकसद न सिर्फ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि पशु कल्याण और सामाजिक सामंजस्य को भी संतुलित करना है।

Feeding Zone: व्यवस्था और सुरक्षा की नई पहल

नगर निगमों, पालिकाओं और पंचायतों को मिले निर्देशों के मुताबिक, प्रत्येक वार्ड में कुत्तों की संख्या के हिसाब से Feeding Zone बनाए जाएंगे। ये जोन बच्चों के खेल के मैदानों, स्कूलों और भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर होंगे। समय भी ऐसा तय होगा, जिससे दैनिक गतिविधियों में बाधा न आए।

पशु प्रेमियों को केवल इन निर्धारित स्थानों पर ही भोजन कराने की अनुमति होगी और साफ-सफाई की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर होगी। नियम तोड़ने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।

क्यों ज़रूरी है यह नीति?

उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों की समस्या काफी गंभीर है।

  • 2024 में मेरठ में करीब 60,000, अमरोहा में 61,000 और लखनऊ में जून तक 4,000 से अधिक लोग रेबीज के टीके के लिए अस्पताल पहुंचे थे।
  • इन पीड़ितों में लगभग 30% बच्चे थे।

ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि कुत्तों के काटने की घटनाएं सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक तनाव का भी बड़ा कारण बन चुकी हैं। कई बार भोजन कराने को लेकर पशु प्रेमियों और स्थानीय निवासियों के बीच विवाद हिंसक रूप ले लेता है।

नई गाइडलाइंस की मुख्य बातें

  1. संरचित Feeding Zone – तय स्थान और समय पर ही भोजन कराने की अनुमति।
  2. विवाद निस्तारण समिति – RWA, पुलिस और पशु चिकित्सकों की संयुक्त समिति विवादों का समाधान करेगी।
  3. नसबंदी और टीकाकरण – Animal Birth Control (ABC) और रेबीज टीकाकरण को तेज़ी से लागू किया जाएगा।
  4. जागरूकता अभियान – स्थानीय निकायों को सूचना बोर्ड लगाने और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश।
  5. पशु प्रेमियों की जिम्मेदारी – केवल तय जोन में भोजन, स्वच्छता का पालन, नियम तोड़ने पर कार्रवाई।

चुनौतियां और सवाल

हालांकि नीति अच्छी मंशा से बनाई गई है, लेकिन इसके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। छोटे नगर निकायों में प्रशिक्षित स्टाफ और संसाधनों की कमी सबसे अहम बाधा है। नसबंदी और टीकाकरण की गति अभी तक काफी धीमी रही है—अब तक यूपी में केवल 2.16 लाख कुत्तों की नसबंदी हुई है, जबकि जरूरत इससे कई गुना अधिक है।

कुछ पशु प्रेमियों ने यह आशंका भी जताई है कि Feeding Zone का कड़ाई से पालन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर इन जोनों का प्रबंधन सही नहीं हुआ, तो यह योजना केवल कागज़ों तक सिमटकर रह जाएगी।

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