लखीमपुर खीरी (10 सितंबर 2025) – नेपाल में भड़की हिंसा का असर अब भारत की सरहद तक आ पहुंचा है। Nepal Protest की आग मंगलवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की गौरीफंटा सीमा से सटे कैलाली जिले तक फैल गई। हालात बिगड़ते देख भारतीय प्रशासन ने सीमा को पूरी तरह सील कर दिया और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है।
Nepal Protest का असर भारतीय सीमा तक
मंगलवार देर रात डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और एसपी संकल्प शर्मा खुद गौरीफंटा बॉर्डर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने एसएसबी जवानों और स्थानीय पुलिस के साथ पैदल गश्त कर स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन ने साफ किया है कि Nepal Protest के चलते किसी भी तरह की अप्रिय गतिविधि रोकने के लिए सीमा बंद करना ज़रूरी कदम है।
इसके साथ ही पीलीभीत से सटी नेपाल सीमा को भी अघोषित रूप से सील कर दिया गया। दोनों जिलों के सीमावर्ती इलाकों में कड़ी निगरानी और लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है।
धनगढ़ी में हिंसक प्रदर्शन
नेपाल के धनगढ़ी (कैलाली जिला) में हजारों युवाओं ने सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल बहादुर शाह के कार्यालय पर प्रदर्शन किया। भीड़ ने नारेबाजी करते हुए कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ की और एक मंत्री की कार पर हमला किया। हालात काबू करने के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा, लेकिन प्रदर्शनकारी बाद में बाजार में फैल गए और वहां भी आगजनी की।
सिर्फ इतना ही नहीं, सुदूर पश्चिम प्रदेश के राज्यपाल कार्यालय और प्रदेश सभा सचिवालय पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला कर आगजनी की। कई महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज जलकर खाक हो गए। इसके अलावा, विदेश मंत्री आरजू राणा देउवा और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा के घर के बाहर भी आगजनी की गई।
स्थिति बेकाबू होते देख कैलाली प्रशासन ने कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया।
भारतीय प्रशासन का रुख
भारत की तरफ से भी पूरी चौकसी बरती जा रही है। बॉर्डर पर तैनात एसएसबी अधिकारियों ने डीएम और एसपी को जानकारी दी कि एहतियात के तौर पर सीमा सील कर दी गई है। सीमावर्ती गांवों में गहन निगरानी रखी जा रही है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा – “प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है। सुरक्षा बल चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं और हालात पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।”
निष्कर्ष
नेपाल में भड़का Nepal Protest केवल पड़ोसी देश की आंतरिक राजनीति का मसला नहीं रह गया है, बल्कि इसका असर भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों पर भी दिखाई दे रहा है। भारतीय प्रशासन की सतर्कता और सीमा सील करने का फैसला यही दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनाए रखना इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है।