यूपी की राजधानी की रैंकिंग में 10 पायदान की गिरावट, नगर निगम और अन्य विभागों की लापरवाही उजागर
लखनऊ (10 सितम्बर 2025): Swachh Vayu Sarvekshan 2025 ने इस बार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को बड़ा झटका दिया है। पिछले साल चौथे स्थान पर रहा लखनऊ अब सीधा 15वें नंबर पर खिसक गया। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों की सूची में लखनऊ को 200 में से 179 अंक मिले, जबकि पिछले वर्ष 189 अंक के साथ यह टॉप-5 में शामिल था।
रायबरेली ने किया सरप्राइज
तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रायबरेली ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया और 7वां स्थान हासिल किया। यह उपलब्धि छोटे शहरों की ओर से वायु प्रदूषण नियंत्रण में गंभीर प्रयासों का संकेत मानी जा रही है।
किन मानकों पर हुई रैंकिंग
यह सर्वेक्षण केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत कराया जाता है। शहरों का मूल्यांकन इन मानकों पर किया गया:
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- सड़क धूल नियंत्रण
- वाहन उत्सर्जन प्रबंधन
- औद्योगिक प्रदूषण में कमी
लखनऊ नगर निगम और संबंधित विभाग इन पैमानों पर अपेक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके।
क्यों गिरी लखनऊ की रैंकिंग?
पर्यावरण अधिकारियों के अनुसार, अंक कटने की बड़ी वजह नगर निगम के साथ-साथ आरटीओ, एलडीए और ग्रीन गैस जैसी एजेंसियों की लापरवाही रही। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सड़क धूल नियंत्रण में प्रयास पर्याप्त नहीं किए गए।
गौरतलब है कि साल 2022 में लखनऊ 177.7 अंकों के साथ नंबर-1 पर था। हालांकि 2023 में शहर ने पुराने कचरे के 20 टन जमा होने के चलते सर्वेक्षण से बाहर रहना बेहतर समझा था।
निष्कर्ष
Swachh Vayu Sarvekshan 2025 में लखनऊ की रैंकिंग का 10 पायदान गिरना यह दिखाता है कि केवल योजनाओं की घोषणा काफी नहीं है, बल्कि उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करना जरूरी है। दूसरी ओर, रायबरेली जैसे छोटे शहर ने साबित किया है कि यदि प्रशासन और स्थानीय निकाय ईमानदारी से काम करें तो वायु गुणवत्ता सुधारना नामुमकिन नहीं।