नई दिल्ली (14 सितंबर 2025): आयकर रिटर्न (ITR Filing) की डेडलाइन 15 सितंबर की रात 12 बजे खत्म हो रही है, लेकिन अब भी करीब 1 करोड़ टैक्सपेयर्स ने अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जल्दबाज़ी में फाइलिंग करते समय लोग अक्सर कुछ अहम जानकारियां छोड़ देते हैं, जिनकी वजह से उनका ITR कैंसिल हो सकता है। ITR कैंसिल होने का मतलब है कि आयकर विभाग मान लेगा कि आपने रिटर्न भरा ही नहीं। इतना ही नहीं, कई मामलों में 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और 7 साल तक की सज़ा भी हो सकती है।
TaxBuddy.com के फाउंडर सुजीत बांगड़ ने बताया कि आयकर रिटर्न भरते समय कम से कम 8 जानकारियां ऐसी हैं जिन्हें छिपाना या छोड़ना भारी पड़ सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं—
1. शेड्यूल FA (विदेशी संपत्ति)
अगर आप भारत में रहते हुए विदेश में संपत्ति, बैंक खाता, शेयर या बीमा पॉलिसी रखते हैं, तो उसकी पूरी जानकारी शेड्यूल FA में देनी अनिवार्य है। जानकारी छिपाने पर आयकर विभाग आपको 10 लाख रुपये जुर्माना और 6 महीने से 7 साल तक की जेल की सजा दे सकता है।
2. शेड्यूल FSI (विदेशी आय)
विदेश से प्राप्त आय की जानकारी शेड्यूल FSI में देनी होती है। इसमें यह बताना जरूरी है कि किस देश से कितनी आय हुई और उस पर कितना टैक्स अदा किया। नियम तोड़ने पर भी वही भारी पेनाल्टी और जेल का खतरा है।
3. शेड्यूल VDA (क्रिप्टो और NFTs)
क्रिप्टोकरेंसी और NFTs रखने या बेचने वालों को हर लेन-देन की तारीख और राशि दर्ज करनी होगी। नुकसान को आय से घटाया नहीं जा सकता। अनुमान है कि 9 करोड़ से ज्यादा भारतीय किसी न किसी रूप में क्रिप्टो एसेट रखते हैं।
4. अनलिस्टेड इक्विटी शेयर
अगर आपके पास किसी अनलिस्टेड कंपनी के शेयर हैं, तो उनकी खरीद-बिक्री की पूरी डिटेल ITR में देना अनिवार्य है।
5. डायरेक्टरशिप की जानकारी
किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं? तो ITR में DIN (Director Identification Number), कंपनी का नाम, PAN और उसका लिस्टिंग स्टेटस बताना जरूरी है।
6. शेड्यूल AL (संपत्ति और देनदारी)
अगर आपकी आय 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो आपको अपनी संपत्तियों (जैसे घर, गाड़ियां, गहने, शेयर, कैश) और देनदारियों की पूरी रिपोर्ट देनी होगी। ये आंकड़े आपके कैपिटल गेन और पोर्टफोलियो से मैच करने चाहिए।
7. शेड्यूल IF (फर्म में पार्टनरशिप)
अगर आप किसी फर्म में पार्टनर हैं, तो फर्म का नाम, PAN, स्टेटस, आपका हिस्सा और सैलरी/ब्याज की जानकारी देना जरूरी है।
8. बैंक खाता और ई-वेरिफिकेशन
ITR फाइल करने के बाद उसे 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफाई करना जरूरी है। साथ ही, रिफंड पाने के लिए बैंक खाता पहले से वेरिफाई होना चाहिए।
क्यों है यह जानकारी जरूरी?
विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स चोरी पर रोक लगाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ITR में यह प्रावधान अनिवार्य किए हैं। अगर आपने सही-सही जानकारी दी, तो रिफंड भी आसानी से मिलेगा और किसी तरह की जांच का डर भी नहीं रहेगा।
👉 निष्कर्ष:
अगर आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया है, तो तुरंत कर लें। और याद रखें—छोटी-सी लापरवाही आपको भारी जुर्माना और जेल तक ले जा सकती है।