ऑनलाइन उपस्थिति बनेगी चिकित्सा सुविधा के सत्यापन की अहम कड़ी
प्रयागराज, 16 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों को लेकर एक बड़ी पहल की शुरुआत हो रही है। मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में घोषित Cashless Medical Facility योजना को मजबूती देने के लिए यूपी बोर्ड अब माध्यमिक विद्यालयों के पूरे स्टाफ की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करेगा। माना जा रहा है कि यह कदम न केवल चिकित्सा सुविधा के सत्यापन को आसान बनाएगा, बल्कि लंबे समय से चल रहे फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगाएगा।
यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने प्रदेश भर के जिला विद्यालय निरीक्षकों को तीन दिन पहले पत्र जारी करते हुए स्पष्ट किया कि प्रत्येक प्रधानाचार्य, प्रवक्ता, शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारी की उपस्थिति अब पोर्टल पर अंकित की जाएगी। यह डेटा आगे चलकर कैशलेस चिकित्सा सुविधा को सत्यापित करने में बेहद अहम भूमिका निभाएगा।
फर्जी शिक्षकों की पोल खुली, अब सख्ती की तैयारी
बोर्ड ने हाल के वर्षों में परीक्षाओं के दौरान एक गंभीर समस्या का सामना किया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में पाया गया कि कुछ वित्तविहीन विद्यालयों में ऐसे शिक्षकों के नाम पंजीकृत थे, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं थे। इन नकली शिक्षकों को परीक्षा ड्यूटी तक दे दी गई थी। साल 2025 की परीक्षा में ऐसे कई फर्जी शिक्षक पकड़े भी गए। इस पूरे घटनाक्रम ने बोर्ड को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
ऑनलाइन उपस्थिति लागू होने के बाद, अब किसी भी विद्यालय में कार्यरत न होने वाले व्यक्तियों का नाम पोर्टल से स्वतः बाहर कर दिया जाएगा। इससे एक ओर जहां शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं Cashless Medical Facility का लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जो वास्तव में कार्यरत हैं।
विद्यालय प्रोफाइल और चिकित्सा सुविधा का सीधा संबंध
यूपी बोर्ड पहले से ही विद्यालय प्रोफाइल अपडेट करा रहा है, ताकि 2026 की परीक्षाओं की तैयारियों में पारदर्शिता लाई जा सके। अब इस प्रोफाइल को ऑनलाइन उपस्थिति से जोड़ने की कवायद हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह प्रक्रिया समय पर और सटीक तरीके से पूरी हो गई, तो भविष्य में चिकित्सा सुविधा का दुरुपयोग लगभग असंभव हो जाएगा।
बोर्ड सचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि विद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वह उपस्थिति डेटा और संबंधित जानकारियां शुद्धता व गंभीरता से अपडेट करे। जो लोग अब विद्यालय से जुड़े नहीं हैं, उनके नाम तुरंत पोर्टल से हटाए जाएं।
एक तीर से दो निशाने
यूपी सरकार की यह पहल दोहरा लाभ दे सकती है। पहला, शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर Cashless Medical Facility मिलेगी, जिसमें इलाज के लिए बार-बार कागजी कार्यवाही से जूझना नहीं पड़ेगा। दूसरा, इस व्यवस्था से फर्जी शिक्षकों और अनधिकृत कर्मचारियों की पहचान तुरंत हो जाएगी, जिससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ खत्म होगा।
शिक्षक संगठन भी इस पहल को लेकर सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं। उनका मानना है कि ऑनलाइन उपस्थिति से शुरू में थोड़ी असुविधा जरूर हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में इससे शिक्षा प्रणाली और चिकित्सा सुविधा—दोनों पारदर्शी और लाभकारी बनेंगी।