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यूपी के पर्यटन स्‍थलों पर बड़ा बदलाव, निजी हाथों में होगा संचालन: CM योगी के निर्देश पर UP Eco Tourism Board का फैसला

On: September 19, 2025
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UP Eco Tourism Board
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अयोध्या, चित्रकूट, बलिया समेत 11 प्रमुख ईको-पर्यटन स्थलों को पहले चरण में निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा

लखनऊ, 19 सितम्बर 2025 — उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों को बेहतर ढंग से संवारने और पर्यटकों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद UP Eco Tourism Board ने निर्णय लिया है कि कई प्रमुख ईको-पर्यटन स्थलों का संचालन और रखरखाव अब निजी हाथों में सौंपा जाएगा।

इसके लिए बोर्ड ने निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। इन कंपनियों को गेस्ट हाउस, पर्यटक सुविधा केंद्र, होटल और रेस्टोरेंट जैसी सेवाओं का संचालन करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इस कदम से न केवल पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधा मिलेगी, बल्कि पर्यटन स्थलों की इमारतें भी लंबे समय तक सुरक्षित रह सकेंगी।

योगी सरकार का विज़न

पिछले महीने हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने चिंता जताई थी कि सरकार द्वारा बनाए गए गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाओं का रखरखाव समय पर न हो पाने के कारण कई इमारतें धीरे-धीरे खंडहर में बदल जाती हैं। उन्होंने साफ निर्देश दिए थे कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे न केवल पर्यटकों को बेहतर सेवाएं मिलें बल्कि भवनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।

इसी के तहत UP Eco Tourism Board ने 11 प्रमुख स्थलों को निजी प्रबंधन के हवाले करने का फैसला लिया है।

पहले चरण में ये स्थल शामिल

पहले चरण में जिन पर्यटन स्थलों को निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा, उनमें शामिल हैं:

  • अयोध्या: उधेला झील और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट
  • चित्रकूट: रामनगर झील और मड़फा किला
  • बलिया: सुरहा ताल बर्ड सेंचुरी
  • बाराबंकी: बगहर झील
  • ललितपुर: ककरावल जलप्रपात
  • बांदा: पर्यटक सुविधा केंद्र और कालिंजर किला
  • जालौन: पचनदा (जहां पांच नदियों का संगम होता है और डाल्फिन आकर्षण का केंद्र है)
  • कुशीनगर: सोहरौना ताल
  • सीतापुर: अज्जेपुर झील
  • महराजगंज: देवदह ईको-पर्यटन स्थल
  • मिल्कीपुर (अयोध्या): स्थानीय ईको-पर्यटन सुविधाएं

आकर्षणों का खजाना

इन स्थलों पर पर्यटकों के लिए बोटिंग, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट और पक्षी अवलोकन जैसी गतिविधियां उपलब्ध होंगी। उदाहरण के लिए बलिया की सुरहा ताल बर्ड सेंचुरी साइबेरियन पक्षियों के आगमन के लिए प्रसिद्ध है, जबकि जालौन के पचनदा में पांच नदियों का संगम और डॉल्फिन की मौजूदगी पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है।

पर्यटन से मिलेगा लाभ

सरकार को उम्मीद है कि इस मॉडल से राज्य में पर्यटन सुविधाएं विश्वस्तरीय स्तर पर विकसित होंगी और साथ ही प्रदेश को राजस्व भी मिलेगा। निजी कंपनियों के प्रबंधन से पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार भी अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

इस कदम को प्रदेश की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नई गति देने और उत्तर प्रदेश को एक मजबूत पर्यटन हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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