लखनऊ (Sun, 28 Sep 2025)। उत्तर प्रदेश सरकार ने सतत विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel – SAF) के उत्पादन को गति देने के लिए एक अनोखी पहल की है। अब राज्य में इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल को एकत्रित कर उससे Jet Fuel तैयार किया जाएगा। इसके लिए इन्वेस्ट यूपी, औद्योगिक विकास विभाग और यूपीनेडा (उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण) को मिलकर कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
Jet Fuel नीति 2025 से खुलेगा निवेश और रोजगार का रास्ता
सरकार की SAF Policy 2025 का उद्देश्य केवल ग्रीन एविएशन को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि किसानों और उद्योगों दोनों के लिए नए अवसर पैदा करना है। इस नीति के तहत धान की भूसी, गन्ने की खोई, गेहूं का भूसा, पराली और इस्तेमाल हुए खाद्य तेल जैसे कृषि अवशेषों को खरीदकर उनसे Jet Fuel तैयार किया जाएगा। किसानों को इसके बदले उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी में सीधा इजाफा होगा।
अधिकारियों का कहना है कि राज्य में पर्याप्त कृषि अवशेष उपलब्ध हैं, लेकिन इस्तेमाल हुए खाद्य तेल को व्यवस्थित तरीके से इकट्ठा करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसे दूर करने के लिए कचरा प्रबंधन संस्थानों और स्थानीय उद्योगों को भी योजना में शामिल किया जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट से बढ़ेगी ग्रीन ईंधन की मांग
पिछले कुछ वर्षों में यूपी में हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। अयोध्या समेत कई धार्मिक और पर्यटन स्थलों को हवाई सेवाओं से जोड़ा जा चुका है। अब जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के संचालन शुरू होने के बाद राज्य में ग्रीन Jet Fuel की मांग और तेजी से बढ़ेगी। सरकार का मानना है कि समय रहते अगर इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया जाए तो प्रदेश ग्रीन एविएशन हब के रूप में पहचान बना सकता है।
किसानों और चीनी उद्योग को मिलेगा फायदा
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी का कहना है कि जिस तरह इथेनॉल ने गन्ना किसानों और शुगर मिलों के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोला, ठीक उसी तरह Jet Fuel उत्पादन किसानों को उनके कृषि अवशेषों का सही मूल्य दिलाएगा। सरकार का अनुमान है कि इस नीति से शुरुआती चरण में लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और गन्ना आधारित उद्योगों को भी नई दिशा मिलेगी।
ग्रीन एविएशन की ओर बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि Jet Fuel के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कमी लाई जा सकती है। यही कारण है कि राज्य सरकार ग्रीन एविएशन इकोसिस्टम विकसित करने पर जोर दे रही है। यह कदम न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अहम है, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था और किसानों दोनों को मजबूत करने वाला साबित होगा।