लखनऊ (Tue, 14 Oct 2025) – उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य कृषि विकास कार्यक्रम (State Agriculture Development Programme – SADP) के तहत करीब ₹200 करोड़ की Agriculture Development Projects को हरी झंडी मिल गई है। इन योजनाओं से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि कृषि उत्पादन और किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
मुख्य सचिव एस.पी. गोयल की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय सेंक्शनिंग कमेटी (SLSC) की बैठक में इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई। उन्होंने निर्देश दिया कि “सभी स्वीकृत परियोजनाओं के कार्य तय समयसीमा में पूरे किए जाएं, ताकि किसानों को इसका त्वरित लाभ मिल सके।”
ग्रामीण विकास और कृषि बुनियादी ढांचे में बड़ा निवेश
बैठक में निर्णय हुआ कि कासगंज, बागपत, शामली और भदोही जिलों में उप कृषि निदेशक कार्यालय और मृदा परीक्षण भवन के निर्माण पर ₹18.24 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
इसके अलावा, पहले से निर्मित 326 किसान कल्याण केंद्रों में बिजली और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए ₹21.03 करोड़ की मंजूरी दी गई।
मुख्य सचिव ने कहा, “राज्य सरकार का लक्ष्य केवल भवन निर्माण नहीं, बल्कि किसानों तक बुनियादी सेवाओं को सुगमता से पहुंचाना है।”
ऊसर भूमि विकास और जल प्रबंधन पर विशेष फोकस
कृषि विभाग की 57 परियोजनाओं के अंतर्गत 1729.42 हेक्टेयर ऊसर भूमि और 1274.68 हेक्टेयर अकृषि योग्य भूमि के विकास के लिए ₹17.40 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की गईं।
वहीं, झांसी और मिर्जापुर जिलों में ICRISAT के माध्यम से जल प्रबंधन एवं फसल पद्धतियों के विकास हेतु क्रमशः 13,872 हेक्टेयर और 7,996 हेक्टेयर भूमि पर काम होगा, जिसके लिए ₹39.08 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।
तकनीकी प्रशिक्षण और प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण पर जोर
मऊरानी (झांसी) में भूमि संरक्षण प्रशिक्षण केंद्र में हॉस्टल निर्माण के लिए ₹5.34 करोड़ और नौ जैव उर्वरक प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण हेतु ₹5.17 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा, प्रसार प्रशिक्षण ब्यूरो परिसर, लखनऊ में आधुनिक स्टूडियो निर्माण सहित अन्य कार्यों के लिए ₹4.36 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।
राज्य कृषि प्रबंध संस्थान (रहमानखेड़ा) के माध्यम से कृषि यंत्रीकरण और सोलर पंप मैकेनिक के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए ₹1.91 करोड़ की मंजूरी दी गई।
पशुपालन और बागवानी क्षेत्र को भी बढ़ावा
पशुपालन विभाग के बक्शी तालाब (लखनऊ) स्थित प्रशिक्षण केंद्र के उन्नयन, निबलेट बाराबंकी प्रक्षेत्र और फार्म पोल्ट्री के विकास के लिए ₹12.67 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की गईं।
वहीं, कसया-कुशीनगर में केले के पौध उत्पादन हेतु टिशू कल्चर लैब और सिगना-आगरा क्षेत्र में हॉस्टल निर्माण व महिला छात्रावास जैसी परियोजनाओं के लिए ₹36.15 करोड़ की स्वीकृति दी गई।
मुख्य सचिव ने कहा, “टिशू कल्चर और आधुनिक प्रयोगशालाएं हमारे किसानों को वैज्ञानिक खेती की दिशा में आगे बढ़ाएंगी।”
रेशम, सहकारिता और प्राकृतिक खेती में भी नई पहल
रेशम विभाग में चार सामुदायिक रेशम कीटपालन केंद्रों, प्रक्षेत्रों की सुरक्षा हेतु तारबाड़ और अंतरराज्यीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए ₹17.63 करोड़ स्वीकृत हुए।
सहकारिता विभाग की 12 प्राथमिक साधन सहकारी समितियों में 100 मीट्रिक टन क्षमता वाले 12 गोदामों के निर्माण के लिए ₹5.90 करोड़ का प्रावधान किया गया।
वहीं, मेरठ, अयोध्या और पीडीडीयू-मथुरा कृषि विश्वविद्यालयों तथा चित्रकूट के कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती के उत्थान हेतु आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों के निर्माण पर ₹11.62 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की गई।
सरकार का लक्ष्य – कृषि क्षेत्र को टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाना
मुख्य सचिव गोयल ने कहा कि इन सभी Agriculture Development Projects से प्रदेश में कृषि ढांचे को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। “हमें सुनिश्चित करना होगा कि हर परियोजना का सीधा लाभ किसान तक पहुंचे। कृषि केवल उत्पादन नहीं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है,” उन्होंने कहा।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार, प्रमुख सचिव पशुधन मुकेश कुमार मेश्राम, और प्रमुख सचिव कृषि रविन्द्र सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।