100 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में अनिवार्य होगी Rainwater Harvesting
लखनऊ (Sat, 04 Oct 2025): उत्तर प्रदेश में अब 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में Rainwater Harvesting व्यवस्था अनिवार्य होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ‘नमामि गंगे’ और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की समीक्षा बैठक में यह स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह कदम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण के लिए निर्णायक साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि वर्षा जल संचयन को केवल सरकारी नीति नहीं, बल्कि जनांदोलन के रूप में अपनाया जाना चाहिए। “जैसे ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान ने लोगों को पर्यावरण से जोड़ा, वैसे ही हर नागरिक को पानी बचाने का संकल्प लेना होगा,” उन्होंने कहा।
जल संकट पर चिंता, तालाबों और चेकडैम पर जोर
योगी आदित्यनाथ ने बढ़ते जल संकट पर चिंता जताई और कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण के पारंपरिक साधनों—चेकडैम, तालाब और ब्लास्टकूप—को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि प्रदेश में 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया जा चुका है। प्रत्येक चेकडैम से औसतन 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित होती है, जिससे कुल 1,28,960 हेक्टेयर भूमि पर अतिरिक्त सिंचाई संभव हो पाई है।
उन्होंने बताया कि इन प्रयासों से अब हर वर्ष लगभग 10 हजार हेक्टेयर मीटर भूजल का रिचार्ज हो रहा है, और किसान साल में दो से तीन फसलें लेने में सक्षम हो रहे हैं।
अतिदोहित क्षेत्रों की संख्या में आई कमी
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित (Over-exploited) और 47 क्रिटिकल जल क्षेत्र थे। सरकार के प्रयासों से वर्ष 2024 तक इनकी संख्या घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्रों तक रह गई है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगले कुछ वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने के प्रयास और तेज किए जाएं।
कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त मिट्टी निकालने की अनुमति
योगी आदित्यनाथ ने बैठक में सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से अहम निर्णय भी लिया। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त में मिट्टी निकालने की अनुमति दी जाए। इससे एक ओर तालाबों की डी-सिल्टिंग (गाद हटाने) से उनकी जलधारण क्षमता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर कुम्हारों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
बारिश के बाद इन तालाबों को मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन के लिए उपयोग में लाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
तालाबों और चेकडैमों की डिजिटल निगरानी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निर्मित या जीर्णोद्धार किए गए सभी तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों की फोटोग्राफी कराकर डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाए।
उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग और मरम्मत की गई है। इसी तरह 16,610 तालाबों में से 1,343 तालाबों का जीर्णोद्धार पूरा हुआ है।
वर्ष 2017 से 2025 के बीच 6,192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18,576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन किया गया है।
जल संरक्षण बने जन आंदोलन
मुख्यमंत्री ने कहा, “Rainwater Harvesting केवल तकनीकी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का अभियान है।” उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि इसे हर जिले में जन-जागरूकता से जोड़ें, स्कूलों और पंचायतों तक इसका प्रचार करें।