लखनऊ (Tue, 14 Oct 2025) – उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के अपने लक्ष्य को साकार करने के लिए अब खेती को डिजिटल दिशा देने जा रही है। राज्य में Digital Agriculture Policy तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जबकि 28 जिलों में ₹4000 करोड़ की “यूपी एग्रीज परियोजना” पहले से गति पकड़ चुकी है। यह पहल न केवल तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देगी, बल्कि किसानों को बाजार, मौसम, बीज और बीमा जैसी जानकारियों से एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ेगी।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा – आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त बनेगा यूपी का कृषि तंत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट’ (UP AGRIRES) की समीक्षा बैठक में कहा कि कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और डिजिटल रूप से सशक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ‘Digital Agriculture Ecosystem’ के निर्माण में तेजी लाई जाए, ताकि फसल, मौसम, सिंचाई, उर्वरक, बीमा और बाजार से जुड़ी सभी सूचनाएं किसानों को रियल टाइम उपलब्ध हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “प्रदेश की नई Digital Agriculture Policy राष्ट्रीय तकनीकी मानकों पर आधारित होगी, जो सुरक्षित साइबर ढांचे और नवाचार आधारित अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगी।”
किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एग्रीज परियोजना बनी मजबूत कड़ी
बैठक में बताया गया कि यह एग्रीज परियोजना करीब ₹4000 करोड़ (यूएस $500 मिलियन) की लागत से विश्व बैंक के सहयोग से छह वर्षों तक चलेगी। इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के 28 जनपदों में लागू किया जा रहा है।
मुख्य उद्देश्य बदलते जलवायु परिदृश्य के अनुरूप कृषि उत्पादन बढ़ाना, संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना और किसानों को सीधे बाजार से जोड़ना है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “बीज से लेकर बाजार तक की पूरी प्रक्रिया को जोड़ना होगा। कृषि सिर्फ फसल उत्पादन नहीं, बल्कि ग्रामीण उद्यमिता और मूल्य संवर्धन का माध्यम बने — यही इस परियोजना का सार है।”
तकनीक, प्रशिक्षण और क्लस्टर विकास पर विशेष जोर
परियोजना में ‘उत्पादकता वृद्धि कार्यक्रम’ के तहत भूमि विकास, जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य और आधुनिक खेती पद्धतियों पर विशेष बल दिया गया है। छोटे और सीमांत किसानों को तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और विपणन सुविधा से जोड़ने के लिए सामूहिक मॉडल अपनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि बुंदेलखंड में मूंगफली, वाराणसी में लाल मिर्च और सब्जी, जबकि बाराबंकी से आजमगढ़ तक केले, कालानमक चावल, उड़द, आलू और हरी मटर के कमोडिटी क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि “केले की खेती में ‘टिशू कल्चर’ को प्राथमिकता दी जाए, ताकि उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो।”
मत्स्यपालन में नवाचार – एक लाख परिवारों को लाभ का लक्ष्य
बैठक में मत्स्यपालन क्षेत्र की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मछली के सीड प्रदेश में ही तैयार किए जाएं, ताकि लागत घटे और आत्मनिर्भरता बढ़े। उन्होंने बताया कि क्लस्टर विकास के जरिए मत्स्य उत्पादन और विपणन की व्यवस्था में सुधार हो रहा है। लगभग 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को मत्स्य उत्पादन के लिए विकसित करने का लक्ष्य है, जिससे करीब एक लाख परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
वित्तीय सुधार और निजी निवेश को प्रोत्साहन पर बल
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि वित्तीय प्रणाली को मजबूत करना बेहद जरूरी है। छोटे किसानों और कृषि आधारित सूक्ष्म उद्योगों को ऋण सुविधा, जोखिम प्रबंधन और निजी निवेश को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने बताया कि परियोजना की संस्थागत तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं — सामाजिक एवं पर्यावरणीय मूल्यांकन संपन्न हो गया है, मॉनिटरिंग और इवैल्यूएशन एजेंसियों का चयन कर लिया गया है, और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के साथ छह वर्षीय अनुबंध को स्वीकृति मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री का निर्देश – “परिणाम किसानों तक पहुंचें, केवल फाइलों में नहीं”
मुख्यमंत्री ने कहा कि “इस परियोजना का मकसद केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना है।” उन्होंने निर्देश दिए कि हर घटक की नियमित समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि हर निर्णय का असर सीधे खेत और किसान तक पहुंचे।