इंग्लैंड दौरे के बाद पूर्व खिलाड़ियों की बेबाक राय, नेतृत्व और लय की कहानी में छिपी हैं कई सीखें
ब्यूरो रिपोर्ट, बुंदेलखंड न्यूज़: इंग्लैंड के तेज़ और चुनौतीपूर्ण माहौल में Team India ने जिस जज़्बे और जुझारूपन का प्रदर्शन किया, उसने क्रिकेट प्रेमियों को एक बार फिर याद दिलाया कि बदलाव अगर दिल से हो, तो नतीजे भी दिल छूते हैं।
इस दौरे में सिर्फ मैच नहीं खेले गए, बल्कि किरदार गढ़े गए — शुभमन गिल की कप्तानी से लेकर रवींद्र जडेजा की जुझारू बल्लेबाज़ी तक। लेकिन हर कहानी में एक अंधेरा कोना भी होता है, और यहां वह नाम था करुण नायर का।
Shubman Gill: जब युवा कप्तान बना उम्मीद का चेहरा
इंग्लैंड की धरती पर भारतीय कप्तान के तौर पर शुभमन गिल ने जो कमाल किया, वह किसी क्रिकेट फेयरीटेल से कम नहीं था। मात्र 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने 754 रन बना दिए — चार शतक और एक दोहरा शतक उनकी झोली में रहे।
और सबसे बड़ी बात — उन्होंने Sunil Gavaskar का रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। अब सिर्फ Sir Don Bradman उनसे आगे हैं।
पूर्व विकेटकीपर पार्थिव पटेल ने भी गिल की इस यात्रा को हाथोंहाथ लिया।
“हेडिंग्ले में 147, फिर एजबेस्टन में 269 और 161 — आलोचक जो भी कहें, गिल ने हर बार बल्ले से जवाब दिया। जब टीम को ड्रॉ की ज़रूरत थी, तब मैनचेस्टर में ठोक दिया शतक।”
गिल की कप्तानी में सिर्फ रन नहीं बने — भरोसा भी बना।
रवींद्र जडेजा: जब टीम बिखरी, तब वह खड़े रहे
हर सीरीज में एक खिलाड़ी ऐसा होता है जो ग्लैमर से दूर, ज़रूरत के समय मैदान संभालता है। इस बार यह जिम्मेदारी जडेजा ने बखूबी निभाई।
516 रन, जिसमें एक शतक और पाँच अर्धशतक शामिल हैं — ये सिर्फ आँकड़े नहीं हैं, बल्कि उन मौकों का गवाह हैं जब भारत की टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गई थी।
पार्थिव पटेल ने भी कहा,
“जब टीम के चार विकेट 100 से पहले गिर जाते हैं, तब 6वें या 7वें नंबर पर आकर मैच बचाना आसान नहीं होता। जडेजा ने वही किया — बैटिंग को स्टेबल किया और टीम को लड़ने लायक बनाए रखा।”
जडेजा की यह भूमिका हर कप्तान को चैन की नींद देती है।
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Karun Nair: चूक गए दूसरा मौका, इरफान पठान की खरी बात
दूसरी ओर, जिनसे बहुत उम्मीदें थीं, वो करुण नायर इंग्लैंड की चुनौती में टिक नहीं पाए। शुरुआत में आत्मविश्वास ज़रूर दिखा, लेकिन टिकाव नहीं रहा।
इरफान पठान ने यूट्यूब चैनल पर साफ़ तौर पर कहा:
“उन्हें बार-बार अच्छे स्टार्ट मिले, मगर नतीजा सिर्फ एक अर्धशतक तक सिमट गया। लॉर्ड्स टेस्ट में मैच जीतने का मौका था, पर वो चूक गए।”
करुण नायर ने चार मैचों की आठ पारियों में सिर्फ 205 रन बनाए। इरफान ने उनकी रेटिंग 10 में से 4 दी — एक कटु लेकिन यथार्थ भरी टिप्पणी।
Team India की आगे की राह: सबक, संकल्प और संभावना
इस सीरीज ने यह तो साफ़ कर दिया कि Team India अब पुराने ढांचे से बाहर निकलकर एक नए युग की ओर बढ़ रही है — जहां युवा खिलाड़ी नेतृत्व संभाल रहे हैं और हर भूमिका के लिए एक नया चेहरा तैयार हो रहा है।
गिल और जडेजा ने उम्मीदें जगाईं हैं, वहीं नायर के प्रदर्शन ने चेतावनी की घंटी भी बजाई है — कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर मौका अंतिम भी हो सकता है।