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Noida Nagar Nigam बनने की तैयारी: मेयर और पार्षद अब नोएडा में भी चुने जायेंगे? जानिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का मतलब

On: August 16, 2025
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Noida Nagar Nigam बनने की तैयारी: मेयर और पार्षद अब नोएडा में भी होंगे चुने? जानिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का मतलब
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📢 सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: क्यों नहीं बनेगा Noida Nagar Nigam?

✍️ रिपोर्ट बुंदेलखंड टुडे|16 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक टिप्पणी की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि Noida Nagar Nigam बनाने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा? यह सवाल केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि शहर के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा है।

गौरतलब है कि नोएडा भारत का इकलौता बड़ा शहर है जहां अब तक चुनी हुई स्थानीय सरकार नहीं है। अगर यहां Noida Nagar Nigam बनता है, तो इसके तहत मेयर और पार्षद का चुनाव होगा और नागरिकों को सीधा प्रतिनिधित्व मिलेगा।


⚖️ कोर्ट का निर्देश, SIT की जांच और अथॉरिटी की खामियां

यह मुद्दा तब उठा जब सुप्रीम कोर्ट, नोएडा अथॉरिटी के दो अफसरों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इन पर ज़मीन अधिग्रहण में गड़बड़ी और अत्यधिक मुआवजा देने का आरोप है। कोर्ट द्वारा गठित SIT ने नोएडा अथॉरिटी की कार्यशैली पर सवाल उठाए, और यहीं से बात उठी — कि क्या एक अकेला विकास प्राधिकरण शहरी शासन के सभी पहलुओं को संभाल सकता है?


📌 क्या होता है Noida Nagar Nigam और इससे क्या बदलेगा?

Noida Nagar Nigam बनने से नोएडा में स्थानीय निकाय शासन लागू होगा।
इसका मतलब होगा:

  • ✅ मेयर और पार्षद का सीधा चुनाव
  • ✅ जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही
  • ✅ नागरिक सुविधाओं पर स्थानीय नियंत्रण
  • ✅ प्रशासनिक पारदर्शिता और भागीदारी

अभी तक NOIDA Authority ही कचरा प्रबंधन, स्ट्रीट लाइट, स्वास्थ्य सेवाएं, सीवरेज, पार्किंग जैसी सभी शहरी सेवाएं देती है — जबकि उसका असली काम है: ज़मीन अधिग्रहण, योजना निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर।


🏙️ दूसरे शहरों से कैसे अलग है नोएडा?

देश के अन्य मेट्रो शहरों में, विकास प्राधिकरण (DDA/MMRDA) और नगर निगम (MCD/BMC) की भूमिकाएं अलग हैं।
उदाहरण के लिए:

  • दिल्ली में: योजना – DDA | सेवाएं – MCD
  • मुंबई में: योजना – MMRDA | सेवाएं – BMC

लेकिन नोएडा में Noida Nagar Nigam की गैरमौजूदगी के कारण NOIDA Authority खुद ही सभी नागरिक सेवाएं संभालती है — जो संस्थागत ढांचे में असंतुलन पैदा करता है।


📊 क्या अब Noida Nagar Nigam बनने की शर्तें पूरी करता है?

हाँ, पूरी तरह से।

भारतीय संविधान के 74वें संशोधन (1992) के अनुसार, नगर निगम वही क्षेत्र बन सकता है जिसकी जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा हो।

📌 नोएडा ने यह सीमा 2010 में ही पार कर ली थी।

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इसके बावजूद आज तक Noida Nagar Nigam का गठन नहीं हो सका — यह न सिर्फ असामान्य है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के भी खिलाफ है।


🤝 जनता को क्या फायदे होंगे Noida Nagar Nigam बनने से?

शहरी मामलों के जानकार और संस्था जनाग्रह के CEO श्रीकांत विश्वनाथन के मुताबिक,

“निर्वाचित नगरपालिका स्थानीय जरूरतों और सरकारी योजनाओं के बीच पुल का काम करती है। खासकर शहरी गरीबों के लिए यह बेहद जरूरी है।”

संभावित लाभ:

  • नागरिकों की भागीदारी बढ़ेगी
  • योजनाओं की निगरानी बेहतर होगी
  • पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी
  • सुविधाएं क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार मिलेंगी

🕰️ क्या पहले भी उठी है Noida Nagar Nigam की मांग?

बिलकुल!
साल 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह ने स्पष्ट तौर पर सिफारिश की थी कि NOIDA Authority से नागरिक कार्य वापस लेकर अलग नगर निगम बनाया जाए।

हालांकि बाद में, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों ने कहा कि उन्हें नगर निगम की जरूरत नहीं है। यह रुख, अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बदल सकता है।


📌 निष्कर्ष: क्या अब नोएडा भी लोकतांत्रिक शहरी शासन की ओर बढ़ेगा?

Noida Nagar Nigam केवल एक संस्था नहीं होगी, बल्कि यह नोएडा के नागरिकों की प्रतिनिधित्व की भावना को मजबूत करने वाला प्लेटफॉर्म होगा। अगर उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर अमल करती है, तो यह नोएडा में स्थानीय लोकतंत्र की बहाली का युगांतकारी कदम होगा।

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