पात्रता जांच में सख्ती, निजी स्कूलों को खाली सीटें पोर्टल पर बताना होगा अनिवार्य
लखनऊ (10 सितम्बर 2025)। निजी स्कूलों में गरीब और वंचित तबके के बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश दिलाने वाले RTE Admission नियम अब और कड़े कर दिए गए हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि अपात्र लोगों को किसी भी कीमत पर इसका लाभ नहीं लेने दिया जाएगा। इसके लिए अब दोहरे सत्यापन (Double Verification) की व्यवस्था लागू होगी।
पहले जहां केवल शिक्षा विभाग आवेदन और दस्तावेजों की जांच करता था, वहीं अब संबंधित विभाग भी सभी प्रमाणपत्रों को ऑनलाइन सत्यापित करेगा। यानी, आय, जाति या निवास प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज किसी भी स्तर पर गलत पाए गए तो आवेदन तुरंत निरस्त कर दिया जाएगा।
आधार कार्ड और दस्तावेजों पर सख्ती
नई व्यवस्था में बच्चे और उसके अभिभावक का आधार कार्ड देना अनिवार्य कर दिया गया है। इतना ही नहीं, फर्जी दस्तावेज लगाने वालों पर सीधे कानूनी कार्रवाई होगी। गलत सत्यापन करने वाले अधिकारी या कर्मचारी भी कार्रवाई से नहीं बच पाएंगे।
मुख्यमंत्री के अनुभव से बदले नियम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर में निजी स्कूलों में गरीब बच्चियों के प्रवेश की शिकायतें मिली थीं। कई मामलों में हस्तक्षेप कर सीएम ने खुद बच्चों को प्रवेश दिलवाया। इन्हीं अनुभवों से सीख लेकर अब शासन ने नियम और सख्त किए हैं। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने मंगलवार को इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी किए।
सीटें और प्रवेश की प्रक्रिया
- प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी खाली सीटों की जानकारी RTE पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
- सभी चयनित बच्चों की सूची सार्वजनिक की जाएगी।
- पूर्व-प्राथमिक और कक्षा एक में न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटें RTE Admission के लिए आरक्षित रहेंगी।
- इस बार सभी जिलों में 1,85,675 सीटें निर्धारित थीं, जिनमें से 1,40,062 बच्चों को प्रवेश मिल सका।
अभिभावकों को राहत देने के लिए किताब और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए हर साल पांच हजार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में भेजे जाएंगे।
स्कूलों की जिम्मेदारी और दंड का प्रावधान
यदि कोई निजी स्कूल आवंटित बच्चे को बिना कारण प्रवेश देने से इंकार करता है तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। प्रवेश मिलने के बाद स्कूल को RTE पोर्टल और यू-डायस पोर्टल पर बच्चे का विवरण दर्ज करना अनिवार्य होगा। तभी उन्हें शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलेगा।
जिला स्तरीय अधिकारी सभी प्रतिपूर्ति बिल और मांग पत्र का सत्यापन करेंगे। खंड शिक्षा अधिकारी हर तीन महीने पर स्कूलों का स्थलीय निरीक्षण कर बच्चों की उपस्थिति जांचेंगे।
निष्कर्ष
सरकार का साफ संदेश है—अब RTE Admission में फर्जीवाड़ा कतई बर्दाश्त नहीं होगा। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दोहरे सत्यापन से लेकर स्कूलों पर कड़ी निगरानी तक, पूरी व्यवस्था को नए ढंग से खड़ा किया जा रहा है। इसका सीधा फायदा उन बच्चों को मिलेगा, जिनके माता-पिता आर्थिक तंगी के बावजूद उन्हें अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं।