लखनऊ, 14 अक्टूबर 2025। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में नगरों के तेज़ी से बदलते स्वरूप को देखते हुए अब एक व्यापक Urban Redevelopment नीति की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे शहरों के सामाजिक और भौतिक पुनर्जागरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा, “हमारे नगर केवल इमारतों का समूह नहीं हैं। ये जीवंत सामाजिक संरचनाएँ हैं, जिनमें आधुनिकता, परंपरा और मानवता का संतुलित समन्वय होना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि नई नीति का उद्देश्य पुराने और जर्जर क्षेत्रों को आधुनिक शहरी बुनियादी ढांचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है।
उन्होंने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। “हर परियोजना में ‘जनहित सर्वोपरि’ की भावना होनी चाहिए और किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसके लिए न्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाएगा,” मुख्यमंत्री ने कहा।
राज्य स्तरीय प्राधिकरण और निवेशकों को सुरक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, परियोजनाओं की सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली और PPP मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा दी जाए ताकि निजी क्षेत्र पुनर्विकास में सक्रिय भागीदार बन सके।
साथ ही, उन्होंने हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान अनिवार्य करने के निर्देश दिए। “हमारी कोशिश है कि शहरों का विकास केवल भौतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिस्थितिक दृष्टि से भी संतुलित हो,” मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा।
ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति में नगरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों और अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी कहा कि नीति का मसौदा जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप से तैयार किया जाएगा और शीघ्र मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।
बाह्य विकास शुल्क में सुधार
बैठक में नगरीय क्षेत्रों में बाह्य विकास शुल्क पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इसे व्यावहारिक और जनहित के अनुरूप बनाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी प्रकार के भूमि उपयोगों पर समान शुल्क दरें लागू हैं, जो व्यावहारिक नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कृषि और औद्योगिक उपयोग की भूमि पर शुल्क आवासीय और व्यावसायिक भूमि की तुलना में कम होना चाहिए। साथ ही, नगर निकाय सीमा के भीतर और बाहर की भूमि पर भी दरों में अंतर रखा जाएगा। उन्होंने पारदर्शिता और सरलता सुनिश्चित करने के लिए शुल्क की गणना ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि बाह्य विकास शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग केवल सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज, विद्युत और अन्य जनसुविधाओं के विकास में ही किया जाए। इसके लिए विकास प्राधिकरणों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आवास विभाग को निर्देश दिया कि बाह्य विकास शुल्क से संबंधित वर्तमान प्रावधानों की समीक्षा कर, जनसुलभ, पारदर्शी और व्यवहारिक नीति शीघ्र तैयार की जाए, ताकि नगरीय विकास योजनाओं में गति आए और नागरिकों को वास्तविक लाभ मिले।