उत्तरकाशी, 08 अगस्त 2025। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में हुई Uttarkashi Cloudburst (बादल फटने) की घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्य के साथ-साथ इस प्राकृतिक आपदा के कारणों की गहन जांच शुरू हो चुकी है।
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की एक विशेष टीम ने गुरुवार को उस स्थल का दौरा किया, जहां से इस भयावह आपदा की शुरुआत मानी जा रही है — झंडा बुग्याल।
झंडा बुग्याल: बादल फटने का मूल बिंदु या कुछ और?
SDRF के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, झंडा बुग्याल जो समुद्र तल से करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, वहीं से इस बादल फटने की त्रासदी की शुरुआत हुई थी। टीम ने ड्रोन के माध्यम से इस ऊँचाई वाले क्षेत्र का विस्तृत निरीक्षण किया। हैरानी की बात यह रही कि ड्रोन फुटेज में कहीं भी झील, जलभराव या कोई बड़ा जल स्रोत दिखाई नहीं दिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह Uttarkashi Cloudburst एक आकस्मिक और स्थानीयकृत घटना थी।
विशेषज्ञों की मानें तो झंडा बुग्याल जैसे ऊँचे और खुले मैदानों में अचानक मौसम परिवर्तन होना असामान्य नहीं है, लेकिन इतनी बड़ी आपदा को जन्म देना चिंताजनक है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 48 घंटों में क्षेत्र में 130 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई, जो इस मौसम के औसत से लगभग दोगुनी है।
गंगोत्री में राहत कार्यों का जायज़ा: पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा
गुरुवार को SDRF के IG अरुण मोहन जोशी ने स्वयं गंगोत्री पहुंचकर वहां चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने धराली और आसपास के क्षेत्रों से सुरक्षित निकाले गए तीर्थयात्रियों और ग्रामीणों से बातचीत की और उनकी ज़रूरतों को समझा।
IG जोशी ने मीडिया को बताया, “हमारा प्राथमिक लक्ष्य सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाना है। हेलीकॉप्टर के ज़रिये चरणबद्ध रूप से निकासी जारी है और किसी भी प्रकार की आपदा पुनरावृत्ति को रोकने के लिए हम संभावित खतरों की पहचान कर रहे हैं।”
Cloudburst in Uttarkashi: पुनरावृत्ति की आशंका कम लेकिन सतर्कता ज़रूरी
SDRF की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, झंडा बुग्याल क्षेत्र में कोई ऐसा बड़ा जल स्रोत नहीं मिला जिससे निकट भविष्य में एक और cloudburst in Uttarkashi जैसी घटना की संभावना हो। हालांकि, भूवैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ इस क्षेत्र की विस्तृत जाँच की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
हिमालयी क्षेत्र में पिछले एक दशक में बादल फटने की घटनाओं में 40% की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और अनियोजित विकास कार्यों के चलते जलवायु व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आ रहा है, जो ऐसी आपदाओं की जड़ में है।
सरकार की अपील: अफवाहों से बचें, आधिकारिक सूचना पर ही भरोसा करें
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त सूचना पर भरोसा करें। SDRF, पुलिस, और प्रशासनिक अमला पूरी सतर्कता के साथ राहत कार्य में जुटा है।