✍️ रिपोर्ट: बुंदेलखंड टुडे ब्यूरो | प्रकाशित: 11 अगस्त 2025
10 साल पुराना मामला फिर चर्चा में, ‘कैप्टन कूल’ ने फिर दिखाई कोर्ट में मौजूदगी की इच्छा
जब मैदान पर शांति से फैसले लेने वाला खिलाड़ी अदालत की चौखट पर दस्तक देता है, तो मामला सिर्फ एक केस नहीं रह जाता—वो एक संदेश बन जाता है।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की ओर से दायर 100 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू करने के आदेश दे दिए हैं। यह मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में है।
MS Dhoni Defamation Case: IPL Fixing आरोपों से जुड़ा था विवाद, अब होगी सुनवाई
वर्ष 2013 के चर्चित IPL Spot Fixing विवाद के बाद, धोनी का नाम कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और व्यक्तियों द्वारा इस घोटाले से जोड़ा गया था।
इस पर नाराज़ होकर, धोनी ने 2014 में दो बड़े मीडिया संस्थानों, एक वरिष्ठ पत्रकार और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार के खिलाफ यह मानहानि मुकदमा दायर किया था।
कथित रूप से इन पक्षों ने धोनी को स्पॉट फिक्सिंग में शामिल बताया था—जिसके बाद उन्होंने ₹100 करोड़ की क्षतिपूर्ति की मांग की।
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हाईकोर्ट ने अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया
सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति की है।
इसका उद्देश्य है—धोनी के सेलिब्रिटी स्टेटस के कारण कोर्ट परिसर में भीड़ या अव्यवस्था से बचना।
अब यह आयुक्त चेन्नई में सभी पक्षों के लिए सुविधाजनक स्थान पर धोनी के बयान और सबूत दर्ज करेगा।
“मैं पूरी तरह सहयोग करूंगा” – धोनी का हलफनामा
धोनी ने अदालत में हलफनामा देकर स्पष्ट किया है कि वे 20 अक्टूबर 2025 से 10 दिसंबर 2025 तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर जिरह में भाग लेंगे।
उन्होंने कहा,
“मैं अधिवक्ता आयुक्त के निर्देशों का पालन करूंगा और पूरी प्रक्रिया में सहयोग दूंगा।”
गौरतलब है कि यह मुकदमा बीते 10 वर्षों से लंबित है। इसमें कई तकनीकी अड़चनों और याचिकाओं के चलते सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई थी।
संपत कुमार को मिली थी सजा, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
इस मामले से जुड़ी एक अन्य बड़ी कड़ी—रिटायर्ड आईपीएस जी. संपत कुमार को दिसंबर 2023 में मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आपराधिक अवमानना का दोषी मानते हुए 15 दिन की साधारण कारावास की सजा सुनाई थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में इस सजा पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
क्या था IPL Spot Fixing घोटाला?
यह मामला 2013 में सामने आया था जब IPL के दौरान तीन खिलाड़ियों—श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण—पर फिक्सिंग का आरोप लगा।
इसके अलावा, चेन्नई सुपर किंग्स के प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन (जो उस समय बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद थे) का नाम भी मामले में आया।
परिणामस्वरूप, राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स—दोनों को दो साल के लिए आईपीएल से प्रतिबंधित किया गया था।
धोनी के लिए यह सिर्फ केस नहीं, छवि की लड़ाई है
MS Dhoni Defamation Case अब एक कानूनी लड़ाई से आगे बढ़कर, एक साख और सम्मान की लड़ाई बन चुका है।
भारत के सबसे शांत कप्तानों में शुमार धोनी मैदान पर भले ही विवादों से दूर रहे हों, लेकिन जब बात झूठे आरोपों और चरित्र पर सवाल उठाने की हो—तो वे पीछे हटने वालों में से नहीं।
📝 निष्कर्ष:
कानून की भाषा में देर भले हो, लेकिन इंसाफ की उम्मीद खत्म नहीं होती। महेंद्र सिंह धोनी की यह कानूनी लड़ाई भी इस बात का प्रतीक है कि एक खिलाड़ी मैदान से बाहर भी उतना ही गंभीर होता है जितना पिच पर।