डिजिग्रेटेड प्लेस बनेंगे दिल्ली के 226 थाने, अदालत में हाजिरी अब वीडियो कॉल पर मुमकिन
नई दिल्ली – दिल्ली पुलिस के लिए अब अदालत में हाजिरी देना किसी दौड़-भाग का मामला नहीं रहेगा। एक ऐतिहासिक फैसले में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने सभी 226 पुलिस थानों को “डिजिग्रेटेड प्लेस” घोषित करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही देने की सुविधा को मंज़ूरी दे दी है। इससे न सिर्फ पुलिस का बहुमूल्य समय बचेगा, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया भी पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट और सुगम हो जाएगी।
🕒 वक्त की बचत, काम में तेजी
अब तक पुलिसकर्मियों को गवाही के लिए अदालत जाना पड़ता था – ट्रैफिक, सुरक्षा और पेशी से जुड़े तनावों के बीच। लेकिन इस नई व्यवस्था से थाने से ही सीधे वीडियो कॉल के ज़रिए बयान देना संभव होगा। उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार, यह सुविधा रोजाना 2000 से अधिक पुलिसकर्मियों को लाभ पहुंचाएगी, जो अदालतों में अलग-अलग मामलों में गवाही देते हैं।
🔧 किस कानून के तहत हुआ बदलाव?
यह पहल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में प्रस्तावित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग गाइडलाइंस पर आधारित है। ‘न्याय श्रुति’ नामक ड्राफ्ट नियमों में सिफारिश की गई थी कि पुलिस थानों को भी “Designated Video Conferencing Sites” के रूप में मान्यता दी जाए। अब ये सुझाव नीतिगत हकीकत में तब्दील हो चुका है।
👁️ पारदर्शिता और दक्षता में सुधार
चुनाव आयोग की तरह ही अब दिल्ली पुलिस भी डिजिटल साधनों से अदालत से संवाद करेगी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि पुलिस थानों में चल रहे अन्य कार्यों में भी व्यवधान नहीं आएगा। पुलिस अधिकारी अब अपने थाने में रहकर ही गवाही दे सकेंगे और मौके पर तत्काल कार्रवाई की निगरानी भी कर पाएंगे।
“हर मिनट कीमती है, और तकनीक के ज़रिए अब पुलिस-न्याय व्यवस्था में सच्चे मायनों में तालमेल बन सकेगा,” – वरिष्ठ अधिकारी, दिल्ली पुलिस
🛡️ किस-किस को मिलेगी सुविधा?
इस योजना के तहत दिल्ली के 179 प्रादेशिक थाने, 16 मेट्रो, 15 साइबर, 8 रेलवे, 2 अपराध शाखा, 2 IGI एयरपोर्ट, 1 आर्थिक अपराध शाखा, 1 महिला अपराध प्रकोष्ठ, 1 सतर्कता शाखा और 1 स्पेशल सेल शामिल किए गए हैं।
🔍 क्या है ‘Designated Place’?
Designated Place, जिसे आम भाषा में ‘डिजिग्रेटेड प्लेस’ कहा जा रहा है, एक प्रामाणिक और तकनीकी रूप से सक्षम जगह होती है, जहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में गवाही दी जा सकती है। इसकी तकनीकी सेटिंग, सुरक्षा और रिकॉर्डिंग के मानक तय होते हैं ताकि कोर्ट की कार्यवाही में कोई खामी न हो।
🗣️ गृह मंत्री के निर्देश के बाद तेजी
गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में हुई एक समीक्षा बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई थी। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि यह सुविधा सिर्फ पुलिस अफसरों के लिए रहेगी, न कि आम गवाहों के लिए।
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🔔 निष्कर्ष: कानून, तकनीक और भरोसे का संगम
इस नई पहल ने एक बार फिर साबित किया कि तकनीक केवल विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुकी है। Delhi Police Video Conferencing सुविधा से न केवल पुलिस बल की कार्यकुशलता में इजाफा होगा, बल्कि अदालती कामकाज में भी समय की बड़ी बचत होगी। डिजिग्रेटेड प्लेस के रूप में थानों की पहचान भविष्य में एक स्थायी मॉडल बन सकती है, जिसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।