अब सिर्फ 5 हजार रुपये में होगा संपत्ति का बंटवारा, अदालतों का बोझ भी घटेगा
लखनऊ, 03 सितंबर 2025। Property Division in UP को लेकर योगी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब पारिवारिक संपत्तियों के बंटवारे का अधिकतम शुल्क केवल ₹5,000 तय कर दिया गया है। पहले यह शुल्क संपत्ति के बाजार मूल्य का 5% तक होता था, जिसके कारण लोग पंजीकरण से बचते थे और विवाद वर्षों तक खिंचते रहते थे।
विभाग का अनुमान है कि इस फैसले से लगभग 2.25 लाख संपत्ति विवाद मिनटों में निपट जाएंगे और जनता को करीब ₹3,800 करोड़ की बचत होगी। साथ ही, स्टांप राजस्व के रूप में सरकार को ₹500 करोड़ तक की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है।
अदालतों और परिवारों को मिलेगी राहत
प्रदेश की राजस्व अदालतों में फिलहाल करीब 26,866 संपत्ति संबंधी विवाद लंबित हैं। इसके अलावा लगभग दो लाख मामले अलग-अलग स्तर पर चल रहे हैं। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क घटने से कम-आय वर्ग भी अब संपत्ति विभाजन का पंजीकरण कराने के लिए आगे आएगा। अनुमान है कि अगले एक साल में लगभग 70% विवाद खत्म हो जाएंगे।
पुलिस और तहसील पर घटेगा बोझ
संपत्ति विवाद अक्सर पुलिस थानों और तहसील स्तर पर झगड़ों का कारण बनते रहे हैं। अपंजीकृत बंटवारे से विवाद सालों तक चलते थे। लेकिन अब केवल ₹5,000 शुल्क तय होने से लोग सीधे पंजीकरण कराएंगे। इससे पुलिस और तहसील कर्मचारियों पर बोझ कम होगा और विवाद का समाधान जल्दी हो सकेगा।
सरकार को अतिरिक्त राजस्व लाभ
रजिस्ट्री विभाग का कहना है कि अगर हर साल औसतन 50,000 पारिवारिक संपत्ति बंटवारे दर्ज होते हैं तो सरकार को कम से कम ₹500 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। वहीं, पुराने लंबित मामलों के निपटारे से शुरुआती वर्षों में पंजीकरण और बढ़ेंगे, जिससे आय में और इज़ाफ़ा संभव है।
पारिवारिक सौहार्द्र पर जोर
स्टांप एवं पंजीकरण मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न के तहत पिछले तीन वर्षों से इस योजना पर काम चल रहा था। उन्होंने कहा—
“इस फैसले का मकसद सिर्फ राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि परिवारों में कलह खत्म करना है। अब विवाद महंगे मुकदमों में उलझने की बजाय 10 मिनट में हल हो जाएगा।”
क्यों खास है यह फैसला?
- 2.25 लाख विवाद होंगे खत्म
- जनता को ₹3,800 करोड़ की बचत
- सरकार को ₹500 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व
- 70% विवाद एक साल में निपट सकते हैं
- पारिवारिक कलह कम होगी, अदालतों का बोझ घटेगा
कुल मिलाकर, Property Division in UP का यह फैसला जनता और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह कदम न सिर्फ संपत्ति विवादों को कम करेगा बल्कि समाज में सौहार्द्र का माहौल भी बनाएगा।