गोरखपुर (10 सितंबर 2025) – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को भारत रत्न और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित गोविंद वल्लभ पंत की 138वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गोरखनाथ मंदिर परिसर में पंडित पंत के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज़ादी के बाद यूपी को विकास की राह पर लाने में पंडित पंत का योगदान अविस्मरणीय है।
Govind Ballabh Pant Jayanti पर सीएम योगी की श्रद्धांजलि
सीएम योगी ने कहा कि पंडित पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उस दौर में विकास की कार्ययोजना लेकर आए जब देश गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद हुआ ही था। उन्होंने न केवल प्रदेश की व्यवस्था को संभाला बल्कि भविष्य के लिए सकारात्मक दिशा भी तय की।
मुख्यमंत्री ने कहा – “पंडित पंत जी सच्चे देशभक्त और भारत मां के सपूत थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और आज़ादी के बाद यूपी को विकास की राह दिखाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए।”
स्वतंत्रता संग्राम से लेकर यूपी के पहले मुख्यमंत्री तक
पंडित पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल रहे। देश की आज़ादी के बाद 1952 में प्रथम आम चुनावों के उपरांत वे उत्तर प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
सीएम योगी ने कहा कि प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में पंत जी ने यूपी की नींव मज़बूत करने का कार्य किया। गुलामी के सैकड़ों वर्षों की चुनौतियों को पार कर उन्होंने प्रदेश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाया।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि पंडित गोविंद वल्लभ पंत को 1954 में देश के गृहमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। इस पद पर रहते हुए उन्होंने हिंदी को राजभाषा का स्वरूप देने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा देश की एकता और अखंडता के लिए किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम में मौजूद रहे जनप्रतिनिधि
इस अवसर पर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह और भाजपा के महानगर संयोजक राजेश गुप्ता सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
138वीं Govind Ballabh Pant Jayanti के अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ की श्रद्धांजलि ने एक बार फिर यह याद दिलाया कि पंडित पंत केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की राजनीतिक और प्रशासनिक धरोहर के आधार स्तंभ थे। आज़ादी के बाद की कठिन परिस्थितियों में उनके सकारात्मक निर्णयों ने यूपी के भविष्य को मज़बूत नींव प्रदान की।