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Bihar Election News: बिहार की जंग में छोटी पार्टियों की लॉटरी? जानिए डेप्युटी CM और मंत्रालयों का पूरा समीकरण

On: August 18, 2025
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Bihar Election News: बिहार की जंग में छोटी पार्टियों की लॉटरी? जानिए डेप्युटी CM और मंत्रालयों का पूरा समीकरण
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पटना, अगस्त 2025। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। इस बार समीकरण कुछ खास इसलिए भी हैं क्योंकि बड़े दलों पर छोटे दलों का दबाव साफ दिख रहा है। अगर महागठबंधन या एनडीए में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तो छोटे-छोटे सहयोगी दल सत्ता की चाबी अपने हाथ में रख सकते हैं। यही वजह है कि Bihar Election News इस समय छोटे दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और उनकी राजनीतिक चालों पर केंद्रित है।


कांग्रेस की ‘बी-टीम’ वाली छवि से मुक्ति की जंग

राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार खुद को राजद की “बी-टीम” वाली छवि से बाहर निकालने की पूरी कोशिश में है। कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावरु जैसे नेता पार्टी को एक स्वतंत्र पहचान देने में जुटे हैं। कांग्रेस का टारगेट है कि कम से कम 50 सीटों पर दावेदारी करे और अगर 40 से ज्यादा सीटें मिल जाएं तो सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी मांगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सत्ता में आने पर उपमुख्यमंत्री पद पर भी दावा ठोक सकती है। यानी साफ है कि कांग्रेस केवल गठबंधन की सवारी बनकर नहीं चलना चाहती, बल्कि अपनी राजनीतिक जमीन भी मजबूत करना चाहती है।


वीआईपी के मुकेश सहनी की उपमुख्यमंत्री की चाह

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री और वे खुद उपमुख्यमंत्री होंगे। उनकी महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है। सहनी हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर चुके हैं, जिसने एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में हलचल मचा दी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सहनी दबाव की राजनीति में माहिर हैं और इस बार उनके लिए “डेप्युटी CM” का सपना हकीकत बन सकता है।

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वाम दलों का धीमा लेकिन स्थिर खेल

बिहार के वाम दल भले ही अपनी मांगें जोर-शोर से न रख रहे हों, लेकिन उनका टारगेट साफ है—2020 के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतना और विधानसभा में अपनी मौजूदगी मजबूत करना। वाम दलों का मानना है कि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन उनकी पकड़ बढ़ रही है। अगर उन्हें इस बार 20 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो वे किसी भी गठबंधन में मंत्री पद या प्रमुख समितियों की मांग करने से पीछे नहीं हटेंगे।


चिराग पासवान और 243 सीटों का ऐलान

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो ऐलान कर दिया है कि वे 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यहां तक कि खुद विधानसभा चुनाव लड़ने का भी संकेत दे चुके हैं। उनकी महत्वाकांक्षा साफ है—सत्ता में सीधी हिस्सेदारी। 2020 के चुनाव की परिस्थितियों को देखते हुए इस बार चिराग पाला बदलने की राजनीति भी कर सकते हैं। कहा जाता है कि अगर उन्हें गठबंधन में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलतीं, तो वे एनडीए को छोड़कर अलग रास्ता भी चुन सकते हैं।


प्रशांत किशोर और जन सुराज की भूमिका

राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने अपनी पार्टी जन सुराज के जरिए साफ संदेश दिया है कि वे पारंपरिक राजनीति नहीं करने वाले। उन्होंने हाल ही में कहा कि अगर 25–30 सीटें मिलती हैं तो भी वे किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगे, बल्कि दोबारा चुनाव का सामना करेंगे। हालांकि राजनीतिक हलकों में यह राय भी है कि इतनी सीटें मिलने पर जन सुराज “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकता है और बिना समर्थन दिए भी सरकार बनाने की प्रक्रिया को जटिल बना देगा।


छोटे दलों की लॉटरी क्यों लग सकती है?

बिहार की राजनीति में छोटे दलों का महत्व कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार तस्वीर और भी दिलचस्प है।

  • कांग्रेस उपमुख्यमंत्री पद का सपना देख रही है।
  • वीआईपी खुलकर डिप्टी सीएम पद की मांग कर रही है।
  • वाम दल सीटों के बढ़ने पर मंत्रालयों की दावेदारी करेंगे।
  • चिराग पासवान बड़े खेल की तैयारी में हैं।
  • प्रशांत किशोर तीसरी ताकत के रूप में उभर सकते हैं।

अगर बड़े दल बहुमत के आंकड़े से चूक जाते हैं तो छोटे दल ही असली ताकत बन जाएंगे। यही वजह है कि 2025 का चुनाव छोटे दलों के लिए लॉटरी टिकट जैसा साबित हो सकता है।


Bihar Election News: निष्कर्ष

Bihar Election News साफ संकेत दे रहा है कि इस बार सत्ता की राह सिर्फ बड़े दलों के बूते तय नहीं होगी। छोटे-छोटे सहयोगी दल और नई ताकतें सत्ता की चाबी अपने हाथ में रख सकती हैं। उपमुख्यमंत्री पद से लेकर मालदार मंत्रालय तक, सब कुछ इन दलों की संख्या और उनकी राजनीतिक रणनीति पर निर्भर करेगा। बिहार की राजनीति हमेशा अप्रत्याशित रही है, और इस बार भी अंतिम नतीजे आने तक रोमांच कम नहीं होगा।


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