अधिकारियों को मिले स्पष्ट निर्देश— “नागरिकों के जीवन में खुशहाली लाना सरकार का संकल्प”
गोरखपुर (Fri, 03 Oct 2025) — विजयदशमी और शारदीय नवरात्र जैसे लंबे धार्मिक आयोजनों में व्यस्त रहने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आराम करने के बजाय शुक्रवार सुबह लोगों की समस्याएं सुनने को तरजीह दी। गोरखनाथ मंदिर परिसर में आयोजित जनता दर्शन में उन्होंने न केवल करीब 200 लोगों से व्यक्तिगत मुलाकात की, बल्कि हर मामले को अधिकारियों के सुपुर्द करते हुए public grievance redressal की गति तेज करने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से साफ कहा कि किसी भी पीड़ित को न्याय से वंचित न किया जाए। जमीन-जायदाद पर अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो, जबकि पारिवारिक विवादों में संवाद और आपसी सहमति के रास्ते खोजे जाएं। उन्होंने राजस्व और पुलिस से जुड़े मामलों को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हल करने की बात दोहराई।
संवेदनशीलता और सख्ती, दोनों पर दिया जोर
योगी आदित्यनाथ ने जनता को भरोसा दिलाया कि सरकार हर पीड़ित की समस्या का समाधान कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अफसरों को चेतावनी दी कि कमजोरों को उजाड़ने वाले या दबंगई दिखाने वाले किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे। दूसरी ओर, उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों तक अब तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाया है, उन्हें प्राथमिकता से जोड़ा जाए।
जनता दर्शन में कई लोग इलाज के लिए वित्तीय मदद की गुहार लेकर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार किसी को भी उपचार के अभाव में पीड़ा नहीं सहने देगी। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि मेडिकल एस्टीमेट की प्रक्रिया तुरंत पूरी कर शासन तक भेजी जाए।
बच्चों संग आत्मीय मुलाकात, चॉकलेट बांटकर लुटाया प्यार
जनता दर्शन के औपचारिक माहौल से अलग, मुख्यमंत्री का बच्चों से जुड़ा सहज और स्नेहिल पक्ष भी साफ झलका। गोरखनाथ मंदिर परिसर में टहलते समय जब उन्होंने बच्चों को देखा तो उन्हें पास बुलाया, नाम और पढ़ाई की जानकारी ली, हंसी-ठिठोली की और खूब आशीर्वाद दिया।
मुख्यमंत्री ने हर बच्चे के माथे पर हाथ फेरते हुए कहा— “मन लगाकर पढ़ाई करो और आगे बढ़ो।” इसके बाद उन्होंने बच्चों को चॉकलेट भी दी। यह दृश्य एक बार फिर साबित कर गया कि प्रशासनिक सख्ती के बीच भी योगी आदित्यनाथ का मानवीय पक्ष कितना गहरा है।
परंपरा और जनसेवा का संतुलन
गुरुवार शाम विजयदशमी शोभायात्रा का नेतृत्व करने और रात्रि प्रवास के बाद शुक्रवार की सुबह उनका कार्यक्रम बिल्कुल परंपरागत रहा। गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना, महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर मत्था टेकने के बाद वे सीधे जनता दर्शन स्थल पर पहुंचे। वहां उनकी प्राथमिकता स्पष्ट थी— public grievance निस्तारण को तेज और भरोसेमंद बनाना।