नई दिल्ली, 8 अगस्त – लोकसभा चुनावों के बाद राजनीति की सरगर्मियाँ अभी थमी नहीं हैं। कांग्रेस नेता और विपक्ष के चेहरे राहुल गांधी ने हाल ही में जो आरोप लगाए, उसने लोकतांत्रिक संस्थाओं की भूमिका पर बहस को हवा दे दी है। इस बीच, भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने राहुल से सीधा सवाल पूछ लिया है: अगर आपके आरोप सही हैं, तो उन्हें शपथ-पत्र में दर्ज करें। नहीं तो सार्वजनिक रूप से देश से माफी मांगिए।
राहुल गांधी का आरोप है कि बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख से ज़्यादा फर्जी वोट जोड़े गए, जिससे भाजपा को फायदा हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग ने भाजपा के लिए रास्ता आसान किया और प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ 25 सीटों की बढ़त से तीसरी बार सत्ता में लौटे।
अब आयोग की तरफ से एक तीखा सवाल उठाया गया है — क्या इन गंभीर आरोपों के पीछे पुख्ता सबूत भी हैं?
🗣️ ECI ने कहा — “या तो साबित करें, या देश से माफी मांगें”
आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा है:
“अगर विपक्षी नेता अपने दावे को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें शपथ-पत्र देने में हिचक नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते, तो यह उनके ही आरोपों पर सवाल खड़ा करता है।”
इस बयान के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि ECI इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठने वाला।
📍 महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक की गई चुनावी धांधली की बातें
राहुल गांधी ने न सिर्फ कर्नाटक, बल्कि महाराष्ट्र में भी चुनावी धांधली का आरोप लगाया था। आरोप यह भी था कि मतदाता सूची से नाम हटाए गए या फर्जी नाम जोड़े गए।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने कांग्रेस से इस बाबत औपचारिक प्रमाण और शपथ-पत्र की मांग की है।
🧭 राजनीतिक विश्लेषण: यह आरोप विपक्ष की रणनीति का हिस्सा?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी का यह रुख कहीं न कहीं आगामी राज्यों के चुनाव और 2029 की तैयारी का संकेत हो सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि ये आरोप ठोस दस्तावेज़ों से पुष्ट नहीं हुए, तो विपक्ष की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
🎙️ भाजपा का पलटवार: “जनादेश का अपमान”
भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह बयान जनता के फैसले और लोकतंत्र का अपमान है।
“जब चुनाव जीतते हैं तो चुप रहते हैं, हारते हैं तो संस्थाओं पर आरोप लगाते हैं,”
ऐसा कहना है एक वरिष्ठ भाजपा प्रवक्ता का।
🧾 अब आगे क्या?
ECI vs Rahul Gandhi विवाद अब दो स्पष्ट रास्तों पर खड़ा है:
- या तो राहुल गांधी शपथ-पत्र में आरोपों को साबित करें,
- या फिर सार्वजनिक तौर पर अपने शब्दों के लिए देश से माफी मांगें।
जनता अब इन दोनों में से एक ठोस कदम की प्रतीक्षा कर रही है।