Satya Pal Malik Death: देश के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन मंगलवार को हो गया। दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली। उनके करीबी सहयोगी कंवर सिंह राणा ने उनके निधन की पुष्टि की।
77 वर्षीय सत्यपाल मलिक काफी समय से गंभीर किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। 11 मई को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और स्थिति नाजुक होने के चलते ICU में शिफ्ट किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक निर्णय के समय निभाई बड़ी भूमिका
जब भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया, तब सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। Satya Pal Malik Death से जुड़े अधिकांश शोक संदेशों में इस बात का जिक्र किया गया है कि उन्होंने उस चुनौतीपूर्ण समय में न केवल प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखी, बल्कि संवेदनशीलता और सूझबूझ का परिचय भी दिया।
इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। मलिक की भूमिका को इस परिवर्तन की शांति से क्रियान्वयन में अहम माना जाता है।
राज्यपाल के रूप में व्यापक अनुभव
अपने करियर के दौरान सत्यपाल मलिक ने बिहार, गोवा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में काम किया। साथ ही, उन्हें ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। उनका प्रशासनिक अनुभव और जनसेवा के प्रति निष्ठा, उन्हें एक अलग पहचान दिलाते थे।
किसान आंदोलन और बोलने की शैली ने दिलाई लोकप्रियता
सत्यपाल मलिक की पहचान सिर्फ राजनीति या प्रशासन तक सीमित नहीं रही। वे किसानों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बोलने वाले गिने-चुने नेताओं में शामिल थे। किसान आंदोलन के समय उनके बयानों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
उनकी भाषण शैली तेज, बेबाक और जनभावनाओं को सीधे छूने वाली थी। मेरठ कॉलेज के समय से ही वे मंचों पर प्रभाव छोड़ते रहे। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी उनकी वक्तृत्व शैली से प्रभावित थे।
राजनीतिक सफर की झलक
वर्ष | पद / भूमिका |
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1974-77 | विधायक, बागपत (उत्तर प्रदेश विधानसभा) |
1980-84 | राज्यसभा सांसद |
1986-89 | राज्यसभा सांसद (दूसरा कार्यकाल) |
1989-91 | लोकसभा सांसद, अलीगढ़ |
1990 | केंद्रीय राज्य मंत्री |
2017 | राज्यपाल, बिहार |
2018-2019 | राज्यपाल, जम्मू-कश्मीर |
अन्य | राज्यपाल – गोवा, मेघालय, ओडिशा (प्रभारी) |
किसान परिवार से निकलकर देश की राजनीति में बनाई मजबूत पहचान
Satya Pal Malik से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि वह जमीनी स्तर से उठकर राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे। 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के हिसावदा गांव में जन्मे सत्यपाल मलिक का जीवन संघर्षों से भरा रहा। बचपन में ही पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद उनकी मां जगनी देवी ने उन्हें पाला-पोसा।
उनकी सोच में ग्रामीण भारत की वास्तविकताएं झलकती थीं। शिक्षा के दौरान ही वे छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और बाद में राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बने।
देश भर से श्रद्धांजलि, जनता ने बताया सच्चा जननेता
Satya Pal Malik Death की खबर आने के बाद देशभर के नेताओं, बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सत्यपाल मलिक को एक निष्कलंक, बेबाक और जनहितैषी नेता बताया।