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2035 तक तैयार हो जाएगा Indian Space Station, ISRO चीफ का बड़ा ऐलान

On: August 17, 2025
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2035 तक तैयार हो जाएगा Indian Space Station, ISRO चीफ का बड़ा ऐलान
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प्रयागराज रिपोर्ट |17 अगस्त 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के 22वें दीक्षांत समारोह में भारत की भावी अंतरिक्ष योजनाओं का भव्य खाका प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा अब नए पड़ाव की ओर बढ़ रही है और आने वाले दशक में देश अंतरिक्ष विज्ञान में न सिर्फ आत्मनिर्भर होगा बल्कि वैश्विक नेतृत्व की नई इबारत भी लिखेगा।


🌌 Indian Space Station: भारत का भविष्य का स्पेस होम

इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य वर्ष 2035 तक अपना स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है। इसे Indian Space Station (ISS-India) नाम दिया जाएगा।

  • प्रारंभिक मॉड्यूल की तैनाती वर्ष 2027 से ही शुरू हो जाएगी।
  • यह स्टेशन अंतरिक्ष विज्ञान, माइक्रो-ग्रेविटी रिसर्च और नई तकनीकों की टेस्टिंग के लिए प्रयोगशाला का काम करेगा।
  • इसमें भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे समय तक रहने और काम करने की सुविधा होगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में रूस, अमेरिका और चीन के पास ही इस तरह की क्षमता है। भारत इस सूची में चौथा देश बनेगा, जिससे अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होगा।


🪐 शुक्रयान मिशन: नए ग्रह की ओर कदम

डॉ. नारायणन ने कहा कि अब भारत अपनी अंतरिक्ष खोज को नए ग्रहों की ओर ले जाने के लिए तैयार है। शुक्र ग्रह की ओर भेजे जाने वाले “शुक्रयान” मिशन को औपचारिक मंजूरी मिल गई है।

  • यह मिशन शुक्र ग्रह की कक्षा में एक ऑर्बिटर स्थापित करेगा।
  • शुक्र के वायुमंडल, सतह, तापमान और भूगर्भीय गतिविधियों का अध्ययन किया जाएगा।
  • यह मिशन वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक शोध में भारत की अहम भूमिका सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने गर्व से कहा कि भारत ने पहले प्रयास में ही मंगल की दूरी नापी और पहले ही प्रयास में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया। हमें पूरा विश्वास है कि शुक्र मिशन भी पहले प्रयास में सफल होगा।

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🚀 गगनयान मिशन: भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान

इसरो प्रमुख ने गगनयान मिशन पर भी अहम अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि:

  • गगनयान का पहला मानव रहित परीक्षण जल्द होगा।
  • इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
  • लक्ष्य है कि भारतीय एस्ट्रोनॉट्स सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यात्रा कर वापस लौटें।

उन्होंने कहा कि गगनयान भारत की उस महत्वाकांक्षा का प्रतीक है जो हमें विश्व की चुनिंदा स्पेस पावर्स में शामिल करता है।


🌍 चंद्रयान-4 और 5: चांद से नमूने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत के चंद्र मिशन अब और भी उन्नत स्तर पर जाएंगे।

  • चंद्रयान-4: ‘सैंपल रिटर्न मिशन’ होगा। इसमें चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाए जाएंगे। यह तकनीकी दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण लेकिन ऐतिहासिक कदम होगा।
  • चंद्रयान-5: जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए (JAXA) के सहयोग से किया जाएगा। इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी साझेदारी मजबूत होगी।

🛰️ नेक्स्ट जेनरेशन लांच व्हीकल (NGLV): भविष्य की रीढ़

उन्होंने बताया कि इसरो की अगली बड़ी तकनीकी छलांग नेक्स्ट जेनरेशन लांच व्हीकल (NGLV) होगी।

  • यह पूरी तरह से पुनः प्रयोग योग्य (Reusable) होगा।
  • इसकी क्षमता मौजूदा LVM-3 से तीन गुना अधिक होगी।
  • यह प्रक्षेपण यान भारत की लॉन्चिंग लागत को कम करेगा और निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए भी अवसर खोलेगा।

🌠 दीर्घकालिक लक्ष्य: चांद पर स्वदेशी मानव मिशन

डॉ. वी नारायणन ने कहा कि भारत का लक्ष्य केवल स्पेस स्टेशन तक सीमित नहीं है।

  • वर्ष 2040 तक भारत पूरी तरह से स्वदेशी मानव मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारेगा।
  • 2047, यानी आज़ादी की शताब्दी तक, भारत का सपना है कि वह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विश्व का अग्रणी केंद्र बने।

✍️ पत्रकार की नज़र से

अगर भारत वर्ष 2035 तक अपना Indian Space Station स्थापित कर देता है, तो यह न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि होगी बल्कि यह देश की आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की भी प्रतीक बनेगा। यह कदम भारत को अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी पर खड़ा करेगा। वहीं, शुक्रयान और गगनयान जैसे मिशन देश की युवा पीढ़ी में विज्ञान के प्रति नई उम्मीद और जिज्ञासा को जन्म देंगे।

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