नई दिल्ली/काठमांडू, 18 सितंबर 2025– भारत और नेपाल के रिश्तों में गुरुवार को एक अहम मोड़ देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से फोन पर बातचीत कर न सिर्फ पड़ोसी देश की शांति प्रक्रिया को समर्थन देने का आश्वासन दिया, बल्कि नेपाल की जनता के प्रति गहरी संवेदनाएं भी व्यक्त कीं।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा – “नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की जी से गर्मजोशी भरी चर्चा हुई। हाल ही की दुखद घटनाओं पर शोक जताया और Nepal Peace एवं स्थिरता बहाल करने के उनके प्रयासों में भारत के अटूट सहयोग की पुष्टि की। साथ ही, नेपाल के राष्ट्रीय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं।”
सुशीला कार्की और बदलता नेपाल
नेपाल की राजनीति इस समय उथल-पुथल से गुजर रही है। संसद भंग होने और 8 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों के बाद देश में अस्थायी राजनीतिक व्यवस्था बनी। इसी पृष्ठभूमि में, 73 वर्षीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने बीते शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला।
कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं और अब पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें जेनरेशन जेड कार्यकर्ताओं के उस आंदोलन का समर्थन प्राप्त है, जिसने मौजूदा राजनीतिक ढांचे को चुनौती दी है।
जन आंदोलन और पृष्ठभूमि
इन प्रदर्शनों की चिंगारी उस समय भड़की जब तत्कालीन सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। पहले से ही भ्रष्टाचार, जवाबदेही की कमी और राजनीतिक नेतृत्व की विफलताओं से निराश जनता सड़कों पर उतर आई। आंदोलन का केंद्र युवाओं—खासतौर पर जेनरेशन जेड—का गुस्सा और उम्मीदें बनीं।
इन्हीं प्रदर्शनों के दबाव में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद आंदोलनकारियों ने सामूहिक रूप से सुशीला कार्की के नाम का समर्थन किया, और वह 5 मार्च 2026 तक अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में काम करेंगी। इसके बाद नए चुनाव होंगे, जिनमें स्थायी प्रधानमंत्री का चयन निर्वाचित संसद करेगी।
भारत-नेपाल रिश्तों का संकेत
विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी और कार्की के बीच हुई यह बातचीत महज औपचारिकता नहीं है। यह संदेश है कि भारत, नेपाल की आंतरिक चुनौतियों को सिर्फ पड़ोसी चिंता के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि सक्रिय सहयोगी के तौर पर खड़ा है। नेपाल के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे में जो नया अध्याय लिखा जा रहा है, उसमें “Nepal Peace” भारत की कूटनीति का केंद्रीय शब्द बन सकता है।
निष्कर्ष
नेपाल की सियासत इन दिनों अनिश्चितताओं से घिरी है, लेकिन साथ ही उम्मीद की किरणें भी जगमगा रही हैं। एक ओर जेनरेशन जेड का दबदबा है, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत जैसे करीबी पड़ोसी का भरोसा। ऐसे में प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का नेतृत्व नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य और Nepal Peace की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।