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Sambhal Violence Report : संभल हिंसा जांच आयोग ने सौंपी रिपोर्ट, अब सरकार की कार्रवाई पर निगाहें

On: September 1, 2025
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Sambhal Violence Report : संभल हिंसा जांच आयोग ने सौंपी रिपोर्ट, अब सरकार की कार्रवाई पर निगाहें
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लखनऊ, 28 अगस्त 2025: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संभल जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते वर्ष 24 नवंबर 2024 को मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा की जांच के लिए गठित आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। यह Sambhal Violence Report लगभग 450 पृष्ठों की है, जिसमें न सिर्फ उस दिन की घटनाओं का ब्यौरा दर्ज है, बल्कि जिले में पिछले दशकों से जारी सांप्रदायिक तनाव, जनसंख्या के बदलते समीकरण और हिंसा के पीछे छिपी साजिशों पर भी रोशनी डाली गई है।

रिपोर्ट की अहम बातें

जांच आयोग की Sambhal Violence Report में बताया गया है कि जिले में जनसांख्यिकीय संतुलन लगातार बदल रहा है। जहां कभी यहां की आबादी का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा हिंदू समुदाय का था, वहीं आज यह घटकर 15 से 20 प्रतिशत के बीच रह गया है। रिपोर्ट में इस गिरावट को एक महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक संकेत माना गया है।

इसके अलावा, आयोग ने यह भी उल्लेख किया है कि संभल में अतीत में कई बार दंगे हो चुके हैं और हर बार इन घटनाओं के पीछे सुनियोजित साजिशों की भूमिका रही है। आयोग ने नवंबर 2024 की हिंसा को भी उसी क्रम का हिस्सा बताया है, जब मस्जिद सर्वे को लेकर अचानक विवाद भड़क उठा और हालात बिगड़ गए।

आयोग की संरचना और कार्यप्रणाली

इस न्यायिक जांच आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र अरोड़ा ने की। उनके साथ पूर्व डीजीपी एके जैन और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अमित मोहन प्रसाद को सदस्य बनाया गया था। तीनों सदस्यों ने पिछले नौ महीनों में घटनास्थल का दौरा किया, गवाहों के बयान दर्ज किए और प्रशासनिक दस्तावेजों का गहन अध्ययन किया।

आगे क्या?

अब निगाहें इस बात पर हैं कि योगी सरकार इस रिपोर्ट पर क्या निर्णय लेती है। क्या साजिशकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई होगी? क्या जिले में जनसांख्यिकीय बदलावों को देखते हुए कोई नई नीति लागू होगी? या फिर सरकार इसे एक चेतावनी मानते हुए केवल प्रशासनिक सुधारों तक सीमित रहेगी?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रिपोर्ट केवल संभल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाओं पर सरकार की नीतिगत दिशा तय कर सकती है।

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