चुनाव आयोग की पहल — 22 साल बाद यूपी में फिर से होगा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण
लखनऊ, सोमवार 03 नवंबर 2025 — उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र की बुनियाद को और मजबूत करने की दिशा में मंगलवार, 4 नवंबर से Special Intensive Revision (SIR) अभियान शुरू हो रहा है। चुनाव आयोग के निर्देश पर यह अभियान करीब 22 वर्ष बाद दोबारा संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है — प्रत्येक पात्र नागरिक को मतदाता सूची में सम्मिलित करना और डुप्लीकेट वोटर एंट्री को समाप्त करना।
प्रदेश में फिलहाल 15.44 करोड़ मतदाता और 1,62,486 पोलिंग बूथ हैं। इन्हीं बूथों पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाता गणना प्रपत्र वितरित करेंगे। राज्य भर में 75 जिला निर्वाचन अधिकारी, 403 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, और 2042 सहायक अधिकारी इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
बीएलओ घर-घर पहुंचेंगे, पहले से भरा होगा मतदाता का विवरण
इस Special Intensive Revision (SIR) अभियान के तहत बीएलओ (BLOs) हर घर तक जाकर मतदाताओं को दो प्रतियों में गणना प्रपत्र सौंपेंगे। इस प्रपत्र में मतदाता का नाम, EPIC संख्या, भाग संख्या, क्रम संख्या और विधानसभा क्षेत्र का नाम पहले से अंकित होगा। मतदाता को केवल कुछ नई जानकारी भरनी होगी — जैसे जन्म तिथि, आधार संख्या, मोबाइल नंबर, माता-पिता का नाम व EPIC नंबर, तथा पति/पत्नी का नाम व उनका EPIC नंबर।
इन प्रपत्रों को भरकर वापस जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर 2025 तय की गई है।
इसके बाद 9 दिसंबर 2025 को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशन होगा, जिसके उपरांत दावे और आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।
जनभागीदारी से सटीकता की ओर — आयोग ने तय की कड़ी समय-सीमा
चुनाव आयोग के मुताबिक, एसआईआर की यह प्रक्रिया पूरे प्रदेश के 1,62,486 बूथों पर एक साथ प्रारंभ होगी। आयोग ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि 12 अन्य राज्यों में भी Special Intensive Revision लागू करने का निर्णय लिया है।
पूरे अभियान का मकसद है यह सुनिश्चित करना कि
“किसी भी नागरिक का नाम छूटे नहीं, और कोई व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर मतदाता न हो।”
अधिकारियों के अनुसार, मतदाता सूची के अद्यतन प्रकाशन की तिथि 5 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। वहीं दावे और आपत्तियों की अवधि 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक चलेगी। इस दौरान अधिकारियों द्वारा सत्यापन, सुनवाई और निस्तारण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
प्रशिक्षित अधिकारी और बूथ सत्यापन — बेहतर तैयारी की दिशा में कदम
राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, सहायक अधिकारी और बूथ लेवल ऑफिसर को इस अभियान के लिए पूर्व प्रशिक्षण दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी बूथ पर 1200 से अधिक मतदाता न हों।
इसलिए SIR अभियान के दौरान बूथों के पुनः सत्यापन की प्रक्रिया भी की जाएगी, ताकि मतदाता सूची सटीक, अद्यतन और पारदर्शी बन सके।
जनता के लिए सरल प्रक्रिया, लोकतंत्र के लिए सुदृढ़ आधार
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह अभियान केवल प्रशासनिक कवायद नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए आवश्यक सुधार की पहल है। बीएलओ का घर-घर पहुंचना, नागरिकों को स्वयं अपनी जानकारी सत्यापित करने का अवसर देता है — जिससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता में गुणात्मक सुधार होगा।
अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग कितनी जिम्मेदारी से अपने गणना प्रपत्र भरते और लौटाते हैं।











