अबू धाबी, 04 नवंबर 2025 (मंगलवार): संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को विश्व समुदाय को कठोर शब्दों में सचेत करते हुए कहा कि सूडान में जारी युद्ध अब नियंत्रण से बाहर जा चुका है। दुबई में आयोजित एक महत्वपूर्ण यूएन सम्मेलन के दौरान, उन्होंने कहा कि “यह संघर्ष अब दुनिया के सबसे भयानक मानवीय संकटों में बदल चुका है,” और इसके लिए तत्काल युद्धविराम अनिवार्य हो चुका है।
गुटेरेस ने विशेष तौर पर दरफूर के एल-फाशर शहर का ज़िक्र किया, जिस पर बीते सप्ताह पैरामिलिट्री संगठन रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) ने कब्जा जमा लिया था। शहर में फंसे नागरिकों की दशा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा—
“सैकड़ों हजार नागरिक भूख, बीमारी और हिंसा के बीच अपनी जान बचाने की कोशिश में हैं। अब कोई भी सुरक्षित नहीं है।”
एल-फाशर में हिंसा, अस्पतालों पर हमले और जातीय नरसंहार की आशंका
मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि एल-फाशर पर कब्जे के बाद आरएसएफ के लड़ाकों ने बड़े पैमाने पर हिंसा की। रिपोर्टों के अनुसार, सिर्फ शहर के हस्पतालों में ही 450 से अधिक लोगों की हत्या किए जाने के आरोप सामने आए हैं। महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाओं की भी पुष्टि हुई है।
हालांकि रैपिड सपोर्ट फोर्स ने सभी आरोपों को नकारा है, लेकिन भागे हुए नागरिकों की गवाही, सैटेलाइट तस्वीरें और वायरल हो चुके वीडियो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।
सूचनाओं की कमी, भूख और मानवीय संकट की गहराई
एल-फाशर पिछले 18 महीनों से आरएसएफ की घेराबंदी में था। इस दौरान खाद्यान्न और दवाइयों की सप्लाई लगभग ठप रही। हालात इतने बुरे हो गए कि हज़ारों लोग धीरे-धीरे भुखमरी और संक्रमण का शिकार बनने लगे। अब इंटरनेट और संचार व्यवस्था के टूट जाने से शहर की वास्तविक स्थिति का अंदाज़ लगाना और भी मुश्किल हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में लगभग 1.4 करोड़ लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। वहीं, अब तक 40,000 से अधिक नागरिक जान गंवा चुके हैं — यह संख्या हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दो टूक अपील: “हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगे”
गुटेरेस ने ताकीद की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब सिर्फ “निंदा” से आगे बढ़कर सूडान में हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा—
“ये समय आलोचना का नहीं, कार्रवाई का है। अगर हमने अब भी चुप्पी साधी, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।”
उन्होंने सूडान के दोनों पक्षों से तुरंत बातचीत की मेज पर आने और युद्धविराम लागू करने की अपील की। उनका कहना है कि “सूडान को खून नहीं, शांति चाहिए।”
निष्कर्ष
Sudan Conflict लगातार मानवीय इतिहास के सबसे भयावह अध्यायों में से एक बनता जा रहा है। इस संघर्ष ने रिश्ते, संसाधन, और उम्मीद — तीनों को जड़ से हिलाकर रख दिया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की चेतावनी हमें सिर्फ़ एक संदेश देती है — समय रहते युद्ध को रोका नहीं गया तो यह पूरी क्षेत्रीय स्थिरता को अपनी आग में झोंक देगा। और उस आग से कोई नहीं बचेगा।













