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सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: Stray Dogs in Delhi के मुद्दे पर सख्ती, shelter homes होंगे अनिवार्य

On: August 14, 2025
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सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: Stray Dogs in Delhi के मुद्दे पर सख्ती, shelter homes होंगे अनिवार्य
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📰 नई दिल्ली | बुंदेलखंड टुडे: दिल्ली की सड़कों पर बेखौफ दौड़ते आवारा कुत्तों को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। Stray Dogs in Delhi के मसले पर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा, “मैं इस पर गौर करूंगा।”

यह टिप्पणी उस वक्त आई जब कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका को तात्कालिक सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया।

याचिका में क्या कहा गया?

दरअसल, याचिका में पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ता) नियम, 2023 के तहत सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगे गए हैं। इसमें विशेष तौर पर राजधानी दिल्ली के संदर्भ में यह मांग की गई कि आवारा कुत्तों को बेवजह सड़कों पर न छोड़ा जाए।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को याद दिलाया कि मई 2024 में जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने स्पष्ट कहा था:

“कुत्तों की अंधाधुंध हत्या किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। सभी जीवों के प्रति संवेदना रखना हमारा संवैधानिक मूल्य है।”

पहले क्या निर्णय आ चुका है?

इससे पहले 11 अगस्त 2024 को जस्टिस जेबी परदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने निर्देश दिया था कि दिल्ली के आवारा कुत्तों को तत्काल पकड़कर आश्रयस्थलों (shelter homes) में स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने कहा था कि लगभग 5,000 कुत्तों के लिए सेल्टर होम बनाए जाएं, जहां पर नसबंदी, टीकाकरण और भोजन की समुचित व्यवस्था हो।

कोर्ट की कड़ी चेतावनी

दिल्ली में कुत्तों के काटने की घटनाएं हाल के महीनों में चिंता का विषय बनी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को मीडिया रिपोर्ट्स में आए रेबीज संक्रमण के मामलों का संज्ञान लेते हुए कहा था:

“यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़ने की सरकारी प्रक्रिया में बाधा डालता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

सरकार को दिए गए निर्देश

  • सभी निकाय और नगर निगम आवारा कुत्तों को पकड़ें
  • उन्हें बनाए गए shelter homes में सुरक्षित रूप से रखा जाए
  • नसबंदी और टीकाकरण की व्यापक व्यवस्था हो
  • सार्वजनिक स्थानों पर इन कुत्तों की मौजूदगी रोकी जाए

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सामाजिक दृष्टिकोण से जरूरी है समाधान

दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले महानगर में Stray Dogs in Delhi न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि नागरिकों की दैनिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं। इस मुद्दे को केवल पशु-कल्याण या कानून का मामला मानना नासमझी होगी, क्योंकि यह नागरिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है।

सरकार, समाज और न्यायपालिका— तीनों को मिलकर न केवल संवेदनशील, बल्कि व्यावहारिक नीति अपनानी होगी।

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