नई दिल्ली, सोमवार, 03 नवंबर 2025: दिल्ली की हवा इन दिनों इतनी जहरीली (toxic) हो चुकी है कि डॉक्टर अब इसे ‘स्वास्थ्य आपात स्थिति’ (Health Emergency) बताने लगे हैं। सरकारी प्रयासों के बावजूद Delhi Pollution का स्तर लगातार बढ़ रहा है, और राजधानी एक बार फिर सांसों पर बोझ बन चुकी है।
चिकित्सक अब साफ-साफ कह रहे हैं — अगर आप सक्षम हैं, तो अगले छह से आठ सप्ताह के लिए दिल्ली छोड़ दें।
यह सलाह किसी डराने के लिए नहीं, बल्कि बिगड़ती हवा की हकीकत को दर्शाने के लिए है।
📊 प्रदूषण और बीमारियों का डबल अटैक
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 के पार पहुंच चुका है, जो ‘गंभीर और खतरनाक’ (Severe and Hazardous) श्रेणी में आता है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक —
- राजधानी के 69 प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति खांसी, जुकाम या बुखार से ग्रस्त है।
- अस्पतालों की ओपीडी (OPD) में सांस और फेफड़ों से संबंधित मरीजों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है। प्रदूषण अब हृदय (Heart), मस्तिष्क (Brain), गुर्दे (Kidneys) और प्रतिरक्षा तंत्र (Immunity System) तक को प्रभावित कर रहा है।
🩺 डॉक्टरों की चेतावनी: “दिल्ली छोड़ना ही फिलहाल सबसे सुरक्षित उपाय”
एम्स (AIIMS) के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. गोपीचंद खिलनानी ने कहा —
“वायु प्रदूषण का असर सिर्फ सांस लेने पर नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर पड़ता है। यह रक्तचाप (Blood Pressure) बढ़ा सकता है और हृदय रोगियों में दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।”
द्वारका मैक्स अस्पताल के डा. मनीष गर्ग के अनुसार,
“वर्तमान में हर तीन में से दो मरीज खांसी, बुखार या सांस की तकलीफ से जूझ रहे हैं। जिन लोगों को पुरानी सांस या दिल की बीमारी है, उन्हें छह से आठ सप्ताह के लिए किसी स्वच्छ हवा वाले इलाके में रहना चाहिए।”
विशेषज्ञों का कहना है कि घर में एयर प्यूरीफायर लगाने से भी राहत सीमित है, क्योंकि दरवाजा खुलते ही जहरीली हवा भीतर प्रवेश कर जाती है।
🏔️ स्वच्छ हवा की तलाश: पहाड़ों की ओर रुख
राजधानी के प्रदूषण से परेशान लोगों ने अब पहाड़ों का रुख कर लिया है।
ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार, पिछले 15 दिनों में हिल स्टेशन बुकिंग्स (Hill Station Bookings) में 35 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
गंगोत्री ट्रैवल्स के संचालक अर्जुन सैनी बताते हैं —
“लोग हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल, मसूरी, रानीखेत और टिहरी जैसे स्थानों पर जा रहे हैं। पहाड़ों में ‘क्लीन एयर ट्रैवल पैकेज’ की मांग अचानक बढ़ी है।”
ऑनलाइन एजेंसियों WanderOn और Thrillophilia के अनुसार —
- छह घंटे की दूरी वाले पहाड़ी इलाकों की बुकिंग में 62 प्रतिशत वृद्धि,
- जबकि फ्लाइट बुकिंग्स में 38 प्रतिशत उछाल दर्ज किया गया है।
🧠 विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह रुझान जारी रहा तो दिल्ली में “Seasonal Migration for Clean Air” एक नई हकीकत बन सकती है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि अब वक्त आ गया है जब Delhi Pollution को केवल मौसमी समस्या नहीं, बल्कि Public Health Crisis की तरह देखा जाए।
🌆 निष्कर्ष
राजधानी की हवा आज सवाल पूछ रही है — “क्या दिल्ली में रहना अब जोखिम भरा हो गया है?”
सरकारी उपायों से लेकर नागरिक जिम्मेदारी तक, हर स्तर पर जवाबदेही तय करना आवश्यक है।
फिलहाल, चिकित्सकों की एक ही सलाह है — “अगर मुमकिन हो, तो कुछ समय के लिए दिल्ली की जहरीली हवा से दूर रहिए।”













