नई दिल्ली (Sun, 28 Sep 2025) – केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलवाद के खिलाफ अपने अटल संकल्प को दोहराया और स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी नक्सली सीजफायर प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यदि नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा, लेकिन कोई युद्धविराम नहीं होगा। “हथियार डालिए, एक भी गोली नहीं चलेगी,” शाह ने जोर देकर कहा।
Naxal मुक्त भारत का लक्ष्य और सरकार की नीति
अमित शाह ने ‘नक्सल मुक्त भारत’ विषय पर आयोजित सेमिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि नक्सलवाद केवल हथियारबंद संघर्ष तक सीमित नहीं है। यह समस्या समाज में फैली विचारधारा और उसे मिलने वाले समर्थन से भी जुड़ी है।
शाह ने कहा, “बहुत लोग सोचते हैं कि अगर हथियारबंद गतिविधियां खत्म हो जाएं, तो नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। नक्सलवाद की जड़ें, उसके विचार और समर्थन देने वाले लोग भी समझना जरूरी है।”
वामपंथी दलों पर निशाना
केंद्रीय गृह मंत्री ने वामपंथी दलों को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि कई दशकों तक नक्सलवाद को वैचारिक समर्थन दिया गया, जिससे कई क्षेत्रों में विकास रुक गया। शाह ने स्पष्ट किया कि नक्सलवाद का कारण विकास की कमी नहीं, बल्कि लाल आतंक और विचारधारा है।
आत्मसमर्पण वालों के लिए सरकार का संदेश
अमित शाह ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए सरकार ने “लाल कालीन” बिछा रखा है। उन्होंने दोहराया कि हथियार डालने वालों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी। शाह ने यह भी कहा कि हाल ही में आए पत्रों के जरिए भ्रम फैलाने की कोशिश की गई, जिसमें कहा गया कि अब सीजफायर किया जाएगा। लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर सख्त नीति
अपने संबोधन में शाह ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार की कड़ी और योजनाबद्ध नीति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है।
उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि सुरक्षा बलों के शहीद होने वाले मामलों में 65% और नागरिकों की मौत में 77% की कमी आई है। पहली बार राज्य में पंचायत चुनाव हुए और जिला व तालुका पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 99.8% मतदान दर्ज हुआ। यह दर्शाता है कि लोकतंत्र मजबूत हो रहा है और सामान्य जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है।
नक्सलवाद से लड़ाई में समाज की भूमिका
अमित शाह ने नक्सलवाद की जड़ों और उसे समर्थन देने वाले लोगों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब तक समाज यह समझता नहीं कि नक्सलवाद क्यों और कैसे बढ़ा, तब तक यह लड़ाई पूरी तरह खत्म नहीं होगी। नक्सलवाद केवल हथियारबंद लड़ाई नहीं है; यह समाज की सोच, कानूनी और वित्तीय समर्थन से भी जुड़ा है।