मुंबई की मोनोरेल — सपना था, सिरदर्द बन गई
मुंबई (21 अगस्त 2025)। जिस Mumbai Monorail Failure को एशिया की सबसे बड़ी नगरी में एक आधुनिक ट्रांसपोर्ट समाधान के रूप में देखा गया था, वही आज अव्यवस्था और हादसों का प्रतीक बन चुकी है। दो दिन बंद रहने के बाद सेवा मंगलवार को फिर शुरू हुई, लेकिन उसके पहले ही दिन दो मोनोरेल अचानक रुक गईं। करीब 800 यात्री बीच ट्रैक पर फंस गए और घंटों की मशक्कत के बाद बाहर निकाले जा सके।
हादसे और तकनीकी गड़बड़ियां
मोनोरेल का रिकॉर्ड शुरू से ही खराब रहा है। साल 2017 में एक ट्रेन के डिब्बों में आग लग गई थी। गनीमत रही कि उस समय डिब्बे खाली थे। लेकिन ऐसी घटनाएं लगातार यात्रियों के भरोसे को तोड़ती रहीं। Mumbai Monorail Failure की सबसे बड़ी वजह तकनीकी खराबी भी है। अक्सर ट्रेनें रुक जाती हैं और दूसरी गाड़ियों को चलाने के लिए एक ट्रेन के पुर्जे निकालकर दूसरी में लगाए जाते हैं।
लंबा इंतजार और असुविधा
जहां मुंबई की लोकल ट्रेन हर 3-4 मिनट में उपलब्ध हो जाती है, वहीं मोनोरेल पकड़ने के लिए यात्रियों को 20-30 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है। इतने लंबे इंतजार ने इसे शहर जैसे बिजी नेटवर्क में अलोकप्रिय बना दिया है।
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योजना में खामियां
मोनोरेल योजना बनाते समय जमीनी हकीकतों को अनदेखा किया गया। कई स्टेशन ऐसे इलाकों में बने हैं जहां पहुंचना ही मुश्किल है। उदाहरण के लिए भक्ति पार्क स्टेशन — यहां रहने वाले लोग मोनोरेल तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर बस या टैक्सी लेते हैं। यही वजह है कि यह सेवा स्थानीय निवासियों के लिए व्यवहारिक विकल्प नहीं बन पाई।
कनेक्टिविटी का अभाव
हार्बर लाइन के वडाला स्टेशन को छोड़कर किसी भी मेट्रो या रेलवे स्टेशन से मोनोरेल का सीधा कनेक्शन नहीं है। यही कमी इसके असफल होने का एक और बड़ा कारण है।
अब क्या होगा?
मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) मोनोरेल को लगातार घाटे में देख रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अब दो विकल्पों पर विचार हो रहा है—या तो इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाए या किसी नए मॉडल में दुबारा शुरू किया जाए।