एकता नगर (गुजरात), 31 अक्टूबर 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल को कश्मीर को पूरी तरह भारत में मिलाने से नहीं रोका गया होता, तो आज का इतिहास कुछ और होता।
मोदी ने आरोप लगाया कि नेहरू के हस्तक्षेप से “Sardar Patel Kashmir Integration” अधूरा रह गया और उसी गलती की कीमत देश ने दशकों तक आतंकवाद और अशांति के रूप में चुकाई।
‘कांग्रेस ने एकता पर हमला किया, घुसपैठियों से देश को खतरा’
नर्मदा जिले के केवडिया में सरदार पटेल की जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक हितों के लिए राष्ट्रीय एकता पर हमला करने की मानसिकता “गुलाम मानसिकता” का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस को अंग्रेजों से सत्ता और पार्टी के साथ-साथ गुलाम मानसिकता भी विरासत में मिली।”
मोदी ने घुसपैठियों को देश की जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि उनकी सरकार हर अवैध प्रवासी को देश से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है’
प्रधानमंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए कहा कि आज का भारत अगर चुनौती दी जाए, तो दुश्मन के घर में घुसकर जवाब देना जानता है।
उन्होंने कहा, “यह वही भारत है, जो सरदार पटेल के सपनों से प्रेरित है — एक अखंड, आत्मनिर्भर और गर्व से भरा हुआ राष्ट्र।”
‘नेहरू की गलती से कश्मीर अलग संविधान वाला बन गया’
मोदी ने कहा कि सरदार पटेल कश्मीर के पूर्ण एकीकरण के पक्षधर थे, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने 550 से अधिक रियासतों का विलय किया था।
उनके अनुसार, “नेहरू के निर्णयों के कारण कश्मीर एक अलग संविधान और प्रतीक वाला क्षेत्र बन गया। यही प्रारंभिक त्रुटि आगे चलकर अशांति की जड़ बनी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद देश ने फिर से पटेल से प्रेरित दृढ़ संकल्प देखा — और अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ा गया।
‘कांग्रेस की कमजोर नीतियों से POK बना आतंक का अड्डा’
मोदी ने कहा कि कमजोर नीतियों की वजह से कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया, जिसने वहां आतंकवाद को जन्म दिया।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा आतंकवाद के आगे झुकी रही, लेकिन हमने पटेल की भावना को जिंदा रखा।”
‘जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे अवैध प्रवासी’
प्रधानमंत्री ने चेताया कि अवैध प्रवासी देश के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं और जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, “वोट बैंक की राजनीति के लिए पिछली सरकारों ने इस मुद्दे को नजरअंदाज किया। लेकिन अब भारत निर्णायक लड़ाई लड़ने जा रहा है — हर घुसपैठिए को देश से बाहर किया जाएगा।”
‘हर भाषा है राष्ट्रीय भाषा’
मोदी ने भारत की एकता के चार स्तंभ गिनाए —
- सांस्कृतिक एकता
- भाषा की एकता
- भेदभाव रहित विकास
- कनेक्टिविटी
उन्होंने कहा, “भारत की हर भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है। तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, संस्कृत ज्ञान का भंडार है, और हर बोली भारत की आत्मा में रची-बसी है।”
प्रधानमंत्री ने मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि सरकार चाहती है हर बच्चा अपनी भाषा में सीखकर आगे बढ़े।
‘भिन्न विचारधारा वाले नेताओं की उपेक्षा की गई’
मोदी ने कहा कि देश ने पटेल, डॉ. भीमराव आंबेडकर, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण जैसे महान नेताओं की उपेक्षा देखी।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राजनीतिक विविधता का सम्मान किया है — चाहे वह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, पंचतीर्थ, या प्रधानमंत्री संग्रहालय के निर्माण के माध्यम से हो।
उन्होंने याद दिलाया कि उनकी ही सरकार ने कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न और समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव को पद्म पुरस्कार देकर यह साबित किया कि “हम राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देते हैं।”
‘वंदे मातरम’ को विभाजित कर कांग्रेस ने रखी विभाजन की नींव
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर वंदे मातरम का एक अंश हटाया, तभी भारत के विभाजन की नींव रख दी गई।
उन्होंने कहा, “अगर वह पाप नहीं हुआ होता, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। यह देश विभाजन नहीं, एकता का प्रतीक है — और यह सरदार पटेल का भारत है।”










