नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025। देश में न्यायपालिका के शीर्ष पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) को अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त करने की औपचारिक सिफारिश की है। अगर केंद्र ने इस सिफारिश पर मुहर लगा दी, तो 23 नवंबर को CJI गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद, 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे।
वरिष्ठता के आधार पर सबसे आगे हैं Justice Surya Kant
सुप्रीम कोर्ट में इस समय जस्टिस सूर्यकांत सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में दूसरे स्थान पर हैं। उन्होंने 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला था। परंपरा के अनुसार, सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं।
अगर यह सिफारिश स्वीकृत होती है तो जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल करीब 1.2 वर्ष का रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित है।
CJI की नियुक्ति की परंपरा — कैसे होता है चयन
भारतीय न्यायपालिका में CJI की नियुक्ति का एक तय प्रोटोकॉल है। परंपरागत रूप से, मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से लगभग एक महीने पहले, केंद्रीय कानून मंत्रालय उनसे उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगता है। इसके बाद मौजूदा CJI वरिष्ठता क्रम के आधार पर अपने उत्तराधिकारी का नाम भेजते हैं। आमतौर पर यही सिफारिश अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
कौन हैं Justice Surya Kant?
हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का सफर एक सामान्य वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचने का रहा है।
उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से स्नातक किया और 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से कानून की पढ़ाई पूरी की। उसी वर्ष उन्होंने हिसार जिला अदालत से वकालत की शुरुआत की। एक साल बाद वे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।
साल 2004 में उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। मात्र एक वर्ष बाद, 24 मई 2019 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।
न्यायपालिका में साफ छवि और संवेदनशील दृष्टिकोण
जस्टिस सूर्यकांत अपनी निष्पक्षता, सादगी और समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने फैसलों में हमेशा जनहित और संवैधानिक मर्यादा के बीच संतुलन बनाए रखा है। न्यायिक हलकों में माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट तकनीकी सुधारों और त्वरित न्याय वितरण की दिशा में और आगे बढ़ सकता है।
निष्कर्ष: न्यायिक निरंतरता की नई कड़ी
अगर केंद्र सरकार की मंजूरी मिलती है तो जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति भारत की न्यायिक परंपरा की निरंतरता को मजबूत करेगी। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और सामाजिक दृष्टिकोण सुप्रीम कोर्ट को एक नई दिशा दे सकते हैं — ऐसी उम्मीद न्यायिक बिरादरी पहले से जता रही है।










