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Justice Suryakant: “सीखना बंद मत करो, बुद्धि का ठहराव ही सबसे बड़ा खतरा है”

On: November 2, 2025
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Justice Suryakant
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Lucknow (Sun, 02 Nov 2025)“बुद्धि का ठहराव ही असली खतरा है, क्योंकि जब हम सवाल पूछना बंद कर देते हैं, तो विकास भी रुक जाता है।”
यह प्रेरक संदेश मुख्य न्यायाधीश पद के नामित Justice Suryakant ने रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए दिया।

उन्होंने कहा कि जीवन में सबसे बड़ा सबक यही है कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए। कानून का पेशा केवल ज्ञान पर नहीं, बल्कि लगातार सीखने, सोचने और प्रश्न करने की क्षमता पर टिका है।

🎓 “जिज्ञासा ही वकील की सबसे बड़ी पूंजी”

अपने संबोधन में Justice Suryakant ने कहा —

“कानूनी पेशे में सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप शुरुआत में कितना जानते हैं, बल्कि इस पर कि आप सीखने और जिज्ञासु बने रहने के कितने इच्छुक हैं।”

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे ‘बौद्धिक निश्चितता’ से बचें और हमेशा नए दृष्टिकोण के लिए खुले रहें। उन्होंने यह भी कहा कि स्नातक भले ही उनका भाषण भूल जाएं, पर “सीखते रहने” का सिद्धांत जीवनभर याद रखें।

🧭 लोहिया की विचारधारा का उल्लेख

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने डॉ. राम मनोहर लोहिया की विचारधारा का हवाला देते हुए कहा कि असली विकास तब शुरू होता है जब हम यह पूछने का साहस करते हैं — क्या चीजें वैसी ही रहनी चाहिए जैसी हैं, या उन्हें बदलना चाहिए?
उन्होंने कहा कि लोहिया जैसे व्यक्तित्व हमें याद दिलाते हैं कि “सोच की निश्चलता” सबसे खतरनाक स्थिरता है।

💬 “प्रणाली को वैसा बनाओ, जैसी वह होनी चाहिए”

अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने आत्मविश्वास के चलते एक साधारण मुकदमा हार दिया था क्योंकि उन्होंने अपने तर्कों की समीक्षा नहीं की।

“उस हार ने मुझे सिखाया कि हर केस को शून्य से शुरू करना चाहिए, और हर बार सीखने का अवसर समझना चाहिए,” उन्होंने कहा।

उन्होंने छात्रों से कहा कि वे कानूनी प्रणाली को जैसा है वैसा न स्वीकार करें, बल्कि इसे वैसा बनाएं जैसी यह होनी चाहिए

⚖️ इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली का संबोधन

कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने भी छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे शब्दों की असली शक्ति उन शब्दों के ‘मौन अंतराल’ में छिपी है।

भंसाली ने छात्रों से कहा —

“अब आपके पास कोई शिक्षक नहीं होगा। अब आपके मार्गदर्शक होंगे — आपके फैसले, आपके क्लाइंट और आपकी अंतरात्मा।”

🕮 “तैयारी ही सबसे बड़ी ताकत”

मुख्य न्यायाधीश भंसाली ने कहा कि एक वकील की पहचान उसकी तैयारी से होती है, न कि उसकी ऊंची आवाज़ से।

“प्रभावशाली भाषण एक दिन तक चमक सकता है, लेकिन तैयारी एक लंबा करियर बनाती है।”

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