नई दिल्ली, Fri, 24 Oct 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को सेना के कमांडरों को स्पष्ट चेतावनी दी — “दुश्मनों को कभी कम नहीं आंकना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत अब किसी भी आतंकवादी गतिविधि का जवाब अपनी शर्तों पर देगा। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को देश की नई रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक बताया।
राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित सैन्य कमांडर सम्मेलन में संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया है कि भारत की सुरक्षा नीति अब प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पहल करने वाली सोच पर आधारित है। यह संकल्प, साहस और रणनीतिक संतुलन का प्रतीक है।”
‘ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ नई रणनीति का प्रतीक’
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद से निपटने की दिशा में भारत की रणनीति को नया आयाम दिया है।
“अब भारत किसी भी आतंकी गतिविधि का जवाब अपनी शर्तों पर देता है। यह हमारे आत्मविश्वास और नीतिगत सटीकता दोनों को दर्शाता है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह ऑपरेशन केवल सैन्य अभियान नहीं बल्कि “राष्ट्र के साहस, संयम और नैतिक शक्ति का प्रतीक” है।
सीमा पर चौकसी और सैनिकों की प्रतिबद्धता की सराहना
रक्षा मंत्री ने सीमा पर तैनात सैनिकों की सराहना करते हुए कहा कि “राष्ट्र की अखंडता की रक्षा के लिए दिन-रात पहरा देने वाले जवान देश के सच्चे प्रहरी हैं।”
उन्होंने चेताया कि दुश्मन को कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए और हर परिस्थिति में सतर्क रहना अनिवार्य है।
राजनाथ सिंह ने कहा —
“ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। जब तक आतंकवादी मानसिकता जीवित है, हमारा मिशन जारी रहेगा।”
इसके बाद उन्होंने तनोट और लौंगेवाला सीमा चौकियों का भी दौरा किया और वहां तैनात सैनिकों से मुलाकात कर सैन्य तैयारियों का जायजा लिया।
भविष्य की चुनौतियों के लिए सेना को तैयार रहने की सलाह
राजनाथ सिंह ने कमांडरों से कहा कि सेना को रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, साइबर सुरक्षा, नवाचार और संयुक्त अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत की सेना आज “साहस और प्रोफेशनलिज़्म” की मिसाल है।
“हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सेना को सर्वोत्तम तकनीक और संसाधन मिलें। सैनिक हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं, चाहे सियाचिन की बर्फ हो या रेगिस्तान की तपिश—वे हर परिस्थिति में देश की रक्षा कर रहे हैं,” रक्षा मंत्री ने कहा।
कमांडर सम्मेलन में चर्चा के मुख्य बिंदु
सम्मेलन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, और उप-सेना प्रमुख ले. जन. पुष्पेंद्र सिंह समेत सभी कमांडर शामिल हुए।
बैठक में ग्रे जोन युद्ध, संयुक्तता (Jointness), आत्मनिर्भरता और सैन्य नवाचार पर विस्तार से चर्चा हुई।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य का युद्ध केवल तकनीक पर निर्भर नहीं होगा, बल्कि सैनिकों की इच्छाशक्ति, अनुशासन और मनोबल ही अंतिम निर्णायक कारक होंगे।
चीन से तनाव पर दिया स्पष्ट संदेश
रक्षा मंत्री ने चीन से जारी सीमा तनाव पर कहा कि भारत बातचीत जारी रखने के साथ-साथ सीमा पर पूर्ण सतर्कता और तैयारियों को बरकरार रखेगा।
“यह भारत की संतुलित और दृढ़ विदेश नीति का प्रमाण है। हम संवाद में विश्वास रखते हैं, लेकिन किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना हमारी प्राथमिकता है,” उन्होंने कहा।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत की विदेश नीति अब राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ गहराई से जुड़ी हुई है, और सेना की भूमिका उसमें निर्णायक है।
‘सैनिक ही देश की असली शक्ति हैं’
रक्षा मंत्री ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक युद्धों में तकनीक चाहे कितनी भी उन्नत क्यों न हो,
“देश की सबसे बड़ी ताकत उसके सैनिक ही हैं।”
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे अनुकूलनशील सेनाओं में गिनी जाती है — “चाहे सियाचिन की बर्फ हो या राजस्थान का रेगिस्तान, हमारे सैनिक हर परिस्थिति में विजेता साबित हुए हैं।”










