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Supreme Court on Delhi Pollution: ‘बढ़ने के बाद नहीं, पहले कदम उठाएं एजेंसियां’, दिल्ली-एनसीआर पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

On: November 3, 2025
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Supreme Court on Delhi Pollution
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नई दिल्ली, 03 नवंबर 2025। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (air pollution) लगातार बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि सरकारी एजेंसियों को प्रदूषण ‘गंभीर स्तर (severe level)’ तक पहुंचने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, बल्कि पहले से ही ठोस कदम उठाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management – CAQM) को हलफनामा (affidavit) दाखिल करने का निर्देश दिया है।

‘Reactive नहीं, Proactive बनें एजेंसियां’ – Supreme Court on Delhi Pollution

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण तभी संभव है जब संबंधित एजेंसियां reactive approach की जगह proactive रणनीति अपनाएं।
न्यायालय ने टिप्पणी की — “ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच जाए तभी अफसर जागें। उन्हें पहले से निगरानी और कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि एनसीआर में वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाले कई monitoring centres ठीक से कार्य नहीं कर रहे, जिससे प्रदूषण नियंत्रण के निर्णय प्रभावित हो रहे हैं।

MC Mehta केस की सुनवाई के दौरान उठे सवाल

यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने MC Mehta बनाम भारत संघ (Union of India) मामले की सुनवाई के दौरान की।
न्यायमित्र (amicus curiae) अपराजिता सिंह ने पीठ के समक्ष कहा कि दीपावली के दिन दिल्ली-एनसीआर के 37 में से सिर्फ 9 निगरानी केंद्र सक्रिय (functional) थे।
उन्होंने कहा, “अगर निगरानी केंद्र ही काम नहीं करेंगे, तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) को लागू करने का सही समय कैसे तय होगा?”

सीएक्यूएम को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) यह बताए कि अब तक कौन से कदम उठाए गए हैं और भविष्य में कौन-से कदम प्रस्तावित हैं, ताकि स्थिति ‘गंभीर’ (severe) होने से पहले ही नियंत्रण संभव हो सके।

एएसजी ऐश्वर्या भाटी (ASG Aishwarya Bhati) ने अदालत को आश्वासन दिया कि संबंधित एजेंसियां विस्तृत रिपोर्ट और कार्ययोजना जल्द प्रस्तुत करेंगी।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति

दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पिछले कई दिनों से वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ (very poor) से ‘गंभीर’ (severe) श्रेणी में दर्ज की जा रही है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दीपावली के बाद कई क्षेत्रों में AQI 450 के पार पहुंच गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाना (stubble burning), वाहनों का धुआं, और निर्माण कार्यों की धूल इसके प्रमुख कारण बने हुए हैं।

जनहित में कोर्ट की सक्रियता

सुप्रीम कोर्ट ने बीते वर्षों में भी प्रदूषण नियंत्रण के मामलों में कई सख्त निर्देश दिए हैं —
चाहे वह पटाखों पर प्रतिबंध का मुद्दा रहा हो, या ग्रेप (GRAP) को लागू करने की समयसीमा।
इस बार कोर्ट ने साफ कहा है कि “सिर्फ आदेशों से नहीं, बल्कि जमीन पर कार्रवाई से फर्क पड़ेगा।”

सरकार और एजेंसियों के लिए चेतावनी का संकेत

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के लिए, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए भी एक कड़ा संकेत (strong signal) है कि आने वाले हफ्तों में यदि प्रदूषण नियंत्रण के ठोस उपाय नहीं किए गए, तो अदालत और कड़े कदम उठा सकती है।

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